शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

गरीबों को चुनावी लालीपॉप बाँट रही सरकार

यूपीए सरकार के दिन जैसे जैसे लड़ते जा रहे हैं वैसे वैसे वह हर बार कि तरह गरीबों और मुसलामानों को लुभाने कि कोशिश करने लगी है। सड़क पर मजदूरों के लिए खुद का मकान ,ठेला खोमचा लगाने वालों को मकान और रोजगार के लिए लाखों का कर्ज, इंदिरा आवास योजना कि तर्ज पर राजीव आवास योजना कि घोसणा सहित और दर्जनो योजनाए। .वओ भी सब गरीबों के लिए। भाजपा कहती है कि यह सब य़ह सब चुनावी ललिपॉप है ,राहुल गांधी कहते है यह गरीबों का हक़ है जो यूपीए सरकार उन्हें देना चाहती है…सवल ये है कि ४ साल पहले दे देती तो क्या हो जाता। जरुरी तो नहीं कि जिस जनता कि इतनी चिंता करो भी और उसे ५ सालों  तक तड़पाओ भी.
फ़ोटो -गूगल से साभार 

ऐसी ही एक योजना का ३१ जनवरी को ऐरोली के पटनी ग्राउंड पर २० हजार लोगों कि मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने   उद्घाटन किया था ।भुखमरी मिटाने और अन्न के कानूनी अधिकार देने के मकसद से प्रारम्भ हुयी इस महत्वाकाँक्षी योजना से ४५ फीसदी शहरी और ७६ फीसदी ग्रामीण इलाकों को लाभ देने का एलान किया गया. कृषि मंत्री ने उम्मीद जतायी कि अब कोई भी गरीब अन्न के अभाव में भूखा नहीं रहेगा.लेकिन सरकार कि इस योजना में शुभारंभ के दिन ही घपला शुरू हो गया.राशन वालों ने १ आदमी पर ५ किलो अनाज कि बजाये केवल २-३ किलो दिया बाकी निगल गए.अब भी यही सिलसिला जारी है.न कोई देखने वाला है न कोई सुनने वाला। . अंधेर नगरी चौपट राजा, टेक शेर भाजी टेक सेर खाझा। सरकार ने सोचा होगा गरीबों के नाम पर फिर चुनाव कि बैतरणी पार होने का मौका मिलेग। लेकिन हो रहा है उल्टा। .... 
योजना में  ६०  हजार आय वाले  एक ब्यक्ति को प्रति माह ५ किलो अनाज जबकि अंत्योदय के तहत ४४ हजार से कम आय वालो को प्रति माह ३५ किलो अनाज मिलेगा।राशन दुकानो से मिलने वाले खाद्यान्न में १ रुपये किलो ज्वार-बाजरा, २ रुपये  किलो गेहूं और ३ रूपये किलो चावल देने का प्रावधान है अन्न सुरक्षा अभियान संस्था कहती है कि  इससे पौने ८ करोड़ राशन कार्ड धारकों को भले ही लाभ मिलेगा लेकिन १.७७ करोड़ ऐसे जरुरत मंद लोग इस  से वंचित रह जायेंगे जिनके पास राशन कार्ड ही नही है.मांग है कि अनाज के साथ दाल और तेल का भी वितरण होना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं: