रविवार, 1 अक्टूबर 2017

जो अपनों को मरवा कर रोती है वही तो राजनीति है...कविता

एक सज्जन ने राजनीति क्या है जानना चाहा,
मैंने कहा आइए बताता हूं,
राजनीति का एक प्रयोग समझाता हूं..
किसी भी भागते हुए चूहे को दौड़ाइए, और..पत्थर उठाकर उसे मारिए..फिर
मरने पर उसे हवा देकर गोबर सुंघाइए..
यूं ही किसी को भी मरवा दीजिए जान से.
और चिता के पास बैठकर रोते हुए कहिए इत्मीनान से,
आज के हालात कितने अजीब हैं,
हमारे अपने ही लोग हमसे बिछड़ते जा रहे हैं,
हम कितने बदनसीब है..
साथ ही घड़ियाली आंसू  बहाइए, ताकि
लोग समझ सकें कि वाह मुर्दे के साथ भी कितनी  प्रीति है,
पर उन्हें क्या पता, यही तो आज की राजनीति है..।।


--सुधीर शर्मा

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