भैया मेरे वोटों की कीमत मत गिराना
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| फोटो-गूगल से साभार |
जमाने से एक गाना रक्षाबंधन के दिन सुनते आ रहे हैं। भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना। क़ुछ इसी तर्ज पर आजकल केजरीवाल के लिए एक गाना देश की जनता गा रही है , यूँ कहिये मजबूरी में गा रही है कि भैया केजरीवाल देश की दरिंदा राजनैतिक पार्टियों से तंग आकर तुम्हे जो वोट दिया उसका सत्यानाश मत करो । वैसे दिल्ली की जनता तो अपना वोट देकर पछता ही रही है. उम्मीद थी कि लीक से हटकर एक आम आदमी गद्दी पर आसीन हुआ है। ठन्डे दिमाग और अपनी सूझ-बुझ से अगर शासन कर लिया तो जनता के वारे-न्यारे हो जायेंगे।शुरुवात अच्छी रही, लेकिन कहते हैं कि सफलता आसानी से नहीं पचती ।आवेश में आपा खो गयी आप ने आम आदमी के हाथ में आयी सत्ता गवां दी. हस्तिनापुर की सत्ता ठीक से अभी सम्भली भी नहीं कि आप सेना के सैनिक पुरे हिंदुस्तान पर कब्जे की फ़िराक में लग गए. आप का कुनबा बिखरने लगा। बिखरा क्या दूसरी पार्टियों ने साजिश के तहत बिखरा दिया।।सड़क से आम आदमी पार्टी की शुरुआत हुयी थी आज सत्ता गवांकर एक बार फिर सड़क पर है केजरीवाल एंड पार्टी। दिल्ली में पुरानी कहावत सच हो गयी है कि न खेलूँगा न खेलने दूंगा। कांग्रेस ने एक तरफ समर्थन देकर केजरीवाल की बोलती नाक दबाई तो दूसरी ओऱ सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली भाजपा को सत्ता से दूर भी रखा.। वह कुछ हद तक पहले और अब राष्ट्रपति शासन लगवा कर सफल रही लेकिन छीछालेदर हो गया आम आदमी के वोटों का जो अपने भले के लिए इन नेताओ को देकर पूरी तरह ठगा गया। एक बार फिर आम जनता की समस्याएं जस की तस हैं।चुनाव का इन्तेजार है जो फिर उसी के पैसों पर लड़े जायेंगे। परंपरागत पार्टियां भाजपा,कांग्रेस और सपा-बसपा - कम्युनिस्ट सभी को बहुत संतुष्टि मिल गयी है कि अच्छा हुआ केजरीवाल थक-हार गया. ज़नता को भी लगने लगा है की राजनीति शायद सामान्य लोगों का काम नहीं है। शायद सिसोदिया और सोमनाथ का भी नहीं।अन्ना हजारे भी मन ही मन खुश हैं कि अच्छा हुआ केजरीवाल हार गया. ऐसे ही बाबा रामदेव खुश हुए थे जब उनसे अलग होकर अन्ना अकेले रामलीला मैदान में उतर पड़े थे।लेकिन बिना लोकपाल अनशन से उठना पड़ा था। ख़ैर जीत हार होती रहती है। ।फ़िलहाल मुख्यमंत्री बनकर निकले केजरीवाल अब आम आदमी भी नहीं रहे। उनकी पार्टी को पहले हर दिन २ लाख रूपये चंदा मिलते थे अब रोजाना २३ से २५ लाख मिल रहे है फिर आम आदमी उन्हें कहना देश के असली आम आदमी को गाली देना होगा। एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा को गरिया कर अरबिंद बाबू देश का मसीहा बनने के लिए चिल्ला रहें हैं. अब जो भाजपा कांग्रेस को नहीं चाहते वो केजरीवाल को वोट देंगे इस फरियाद के साथ की भईया मेरे वोटो की कीमत मत गिराना वर्ना बेहतर है कि कांग्रेस-बीजेपी-बीएसपी-सपा आदि धूर्त नेताओ वाली पार्टियों को ही वोट दे दें यानि नेकी कर दरिया में डाल। नहीं वोट देने से तो बेहतर है किसी लूले- लंगड़े को ही वोट दे दिया जाये अपने लोकतंत्र के नाम पर, देश के नाम पर, आखिर अपना अधिकार जो है !
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