मंगलवार, 26 अगस्त 2014

बीजेपी में बेलापुर के लिए घमासान


मंदा म्हात्रे को लेकर  विरोधकार्यकर्ता चाहते हैं अन्य उम्मीदवार

नवी मुंबई,  लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली बीजेपी नवी मुंबई में विधान सभा चुनाव 2014 से पहले ही दो गुटों में बंट गयी है. खबर है कि राकां से बीजेपी का दामन थामने वाली मंदा म्हात्रे को बेलापुर से टिकट दिए जाने की संभावना है. हालांकि पुराने पदाधिकारी नहीं चाहते कि 2 महीने पहले पार्टी में आयी मंदा को टिकट दिया जाय. बताया जा रहा है कि वाशी के सत्रा प्लाजा में स्थित दीप भानुसाली के कार्यालय में  एक गुप्त बैठक मंदा को रोकने के लिए बुलाई गयी थी जिसमें प्रदेश सचिव वर्षा भोषले,सतीश निकम,मारुती भोईर सहित  कई स्थानीय पदाधिकारी एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता मौजूद थे. कल्याण में इच्छुक प्रत्याशियों का जायजा लेने आए पर्यवेक्षक विपुल मेहता के सामने भी बेलापुर के लिए मंदाताई का विरोध साफ नजर आया, जब सतिश निकम के समर्थक उन्हें मंदा से बेहतर उम्मीदवार बताते नजर आए. बता दें कि नवी मुंबई बीजेपी के अधिकांश पदाधिकारी अपनी उपेक्षा एवं 15 सालों तक एनसीपी में टिकट के लिए तरसती रही मंदा म्हात्रे को बीजेपी में तत्काल टिकट दिए जाने के खिलाफ हैं.
विधान सभा टिकट के लिए मची होड़ 
फिलहाल 5 लाख की आबादी एवं 3.50 लाख मतदाताओं वाले बेलापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की ओर से कुल 4 लोग स्वयं को भावी प्रत्याशी मान रहे हैं. इनमें प्रदेश सचिव प्रो. वर्षा भोसले, पूर्व उपाध्यक्ष मारुती भोईर, आरएसएस से आए सतिश निकम और हाल ही में राकां से आयी मंदा म्हात्रे प्रमुख हैं. हालांकि प्रांत कार्यालय से किसी के भी नाम की घोषणा नहीं होने के कारण वे स्वयं को सर्वश्रेष्ठ दिखाने की होड़ में लगे हैं. सूत्रों की मानें तो इन्होंने अपने-अपने समर्थक भी तैयार किए गए हैं जो इनकी वकालत कर सकें. गौरतलब है कि एक गुट जहां राकां से भाजपा में आयी मंदा म्हात्रे के साथ है तो वहीं दूसरा गुट संघ कार्यकर्ता रहे सतिश निकम को अपना समर्थन दे रहा है.इनके निकम फ़िलहाल संघ से बहार हैं लेकिन पिछली पहचान के लोग उनके समर्थन में खड़े हैं. इनके अलावा एक तीसरा गुट भी सामने आया है जो बीजेपी की प्रदेश सचिव वर्षा भोसले के नेतृत्व में अपने लिए चुनाव की नयी जमीन तैयार कर रहा है.योन कहें तो जितने के दौर में एक बार फिर बीजेपी को अंतर्कलह का रोग लग गया है. गैर मराठी सीवी रेड्डी को जिलाध्यक्ष बनाए जाने के बाद से यह गुटबाजी और भी गहरा गयी है.
तो बीजेपी का जीतना होगा मुश्किल
2009 में बेलापुर से बिल्डर सुरेश हावरे चुनाव लड़े थे लेकिन गणेश नाईक से 12 हजार मतों से पराजित रहे. 2014 में प्रत्याशी किसे बनाया जाय, ऐसा कोई प्रभावी एवं सक्षम चेहरा नहीं दिख रहा जिस पर आम सहमति हो. ऐसे में चुनाव से पहले ही नवी मुंबई भाजपा का भविष्य खतरे में पड़ गया है. गौर करें तो गणेश नाईक के खिलाफ एन्टी इनकम्बैंसी होने के बावजूद नवी मुंबई में पालकमंत्री का तगड़ा वर्चस्व है. उनके खिलाफ बीजेपी की ओर से मंदा म्हात्रे के आने से मुकाबला भले ही रोमांचक हो लेकिन उसमें जीत की गुंजाईश कम ही दिखती है.  शिवसेना के आंतरिक सूत्र बताते हैं कि अधिकांश कार्यकर्ता मंदा म्हात्रे के लिए काम नहीं करना चाहते,वहीं खुद बीजेपी के अंदरखाने चल रही गुटबाजी भी उनके लिए दूसरी बड़ी चुनौती है. ऐसे में यदि मंदाताई चुनाव लड़ती हैं तो पार्टी का अंर्तकलह एवं शिवसेना की उदासीनता का फायदा सीधे तौर पर राकां के गणेश नाईक को जीत दिलाने में मददगार साबित हो सकता है.

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