शनिवार, 2 जनवरी 2016

कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती

चश्मा उतारो, फिर देखो यारों

खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे- बता तेरी रजा क्या है..यह से
गूगल से साभार
र अक्सर आप ने सुना होगा..मैं आप से कहता हूं कि एक बार इसे आजमा कर देखना..आप को अपने आप में एक ताकत का एहसास होने लगेगा. आप को लगेगा कि आप यूं ही इस दुनिया में नहीं आए हैं. आप के इस धरती पर आने के पीछे कोई खास मकसद है. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अक्सर कहते थे कि मानव सभी प्राणियों से उत्कृष्ट है. तो फिर इस जीवन को जीने का तरीका भी उत्कृष्ट होगा. लेकिन हम इसे यूं ही गवां रहे हैं. आप कहेंगे कि क्या करें माहौल ऐसा है. तो फिर सवाल ये है कि आप उस माहौल को सुधारने-सवांरने के लिए कोई पहल क्यों नहीं करते . आप को नहीं लगता कि गलत और अपराधमय माहौल समाज के लिए, नयी पीढ़ी के लिए बड़ा खतरा है. ज्यादा कमाने और पाने की लालसा ही तो भ्रष्टाचार की ओर ले जाती है..यही लालसा हर क्षेत्र में बलवती होती जा रही.जाहिर है हमारे चारो तरफ जो घट रहा है, उस का असर हमारे रोज के जीवन पर पड़ता है. जैसे भ्रष्टाचार, महंगाई, अपराध और सामाजिक विकृतियां..अगर आप सोचते हैं कि इसे दूर करना आप का काम नहीं है तो इतना जरुर समझ लेना कि यही अनदेखी आप के बच्चों को बर्बाद करने के लिए काफी हो सकती है. लमहों ने खता की,सदियों ने सजा पाई ...क्यों कि बुराईयों के बीज भले ही हम न बोएं अगर हम उसे देखकर अनदेखी करते हैं तो वह एक दिन विषवेल बनकर हमारे युवा बच्चों को डंसने वाली है. तो वही बात हुई की गलती हम करें और नुकसान हमारी आने व?ली पीढ़ी उठाए. आप को नहीं लगता कि एक अपराध आप ने भी कर दिया है. शायद आप जैसे लोगों ने..तो क्या इसके समाधान के लिए आप को प्रयास नहीं करना चाहिए..जरुर, लेकिन इन मसलों को लेकर आप का नजरिया कुछ और होता है. क्योंकि आप सोंचते हैं कि यह काम मेरा या हमारा नहीं है.
सच्चाई ये है कि आप की आखों पर कायरता का चश्मा चढ़ा है. वाह्य परंपराओं का चश्मा चढ़ा है. इसलिए गंभीर समस्याएं भी आप को कुछ और दिखती हैं.आप अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर आप चीखते हुए नहीं थकते लेकिन जब उससे लडऩे या रोकने की बात आती है तब आप दूसरों की ओर देखने लगते हैं. ऐसा क्यों क्यों कि आप खुद से कुछ भी करना नहीं चाहते हैं. आखिर यह कब तक चलेगा. आप के इसी नजरिए का असर है कि जब आप के साथ कुछ बूरा होता है तभी आप को दुनिया में समस्याएं और संकट नजर आता है. आप जब घंटों राशन या बिजली बिल भरने के लिए कतार में खड़े होते हैं तो आप को तकलीफ होती है. आप इस पर सवाल उठाते हैं. शिकायत करते हंै. लेकिन जैसे ही आप का काम हो जाता है. आप इस ओर देखने की जरुरत नहीं समझते. तो अगर स्थितियों को बदलना है तो आपको अपनी आखों पर लगा वो चश्मा तो उतारना पड़ेगा.

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