ओ बंधु चल, ओ साथी चल.
ऐसे ही सोए रहे तो पछताओगे कल..।
ओ बंधु चल, ओ साथी चल..........।।
जब
लाखों ने जान गंवायी,
तब
भारत ने आजादी पायी..
यूं भूले तो हो जाएगी कुर्बानी निष्फल..ओ बंधु
चल..।।1।।
रोटी-कपड़ा और दवाई,
छीन रही सब कुछ महंगाई..
चूल्हे में अरमां जले और खुशहाली हर पल.ओ
बंधु चल.।।2।।
राजनीति का थोथा दावा,
सब वादा, उत्थान
छलावा..
चुप बैठे तो ये नेता जाएंगे देश निगल..ओ बंधु
चल..।।3।।
आरक्षण ने फिर ललकारा..
संघर्षों
में कौशल हारा....
वर्षों से बन रहे हैं हम,
बहकावे में पागल..ओ बंधु चल..।।4।।
ऐसे ही सोए रहे तो पछताओगे कल...
.....ओ बंधु चल, ओ साथी चल.....

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