बुधवार, 24 सितंबर 2014

गठबंधन टूटा तो कहां से लाएंगे प्रत्याशी


गठबंधन टूटा तो कहां से लाएंगे प्रत्याशी

नवी मुंबई. शिवसेना और बीजेपी में सीटों को लेकर चल रहे घमासान के बीच एक नया जिन्न पैदा हो गया है. यह विधान सभा के लिए योग्य उम्मीदवारों का वह जिन्न है. जो सवाल पूछने लगा है कि सीट बंटवारे पर मची तकरार के बाद अगर महायुति या आघाड़ी टूटती है तो राज्य की 288 सीटों के लिए योग्य और सक्षम उम्मीदवार कहां से आएंगे. उदाहरण के तौर पर नवी मुंबई की महज दो सीटों पर ही कांग्रेस और बीजेपी के पास योग्य प्रत्याशियों का अकाल है फिर अकेले चुनाव अखिर किसके दम पर लड़ा जााएगा. पड़ोस के पनवेल विधानसभा सीट का भी यही हाल है जहां विधायक प्रशांत ठाकुर के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के सामने नए उम्मीदवार की मुसीबत खड़ी हो गयी है. इस मामले में जहां महायुति में शिवसेना आगे है वहीं आघाड़ी में एनसीपी का पलड़ा भारी है. हालांकि गठबंधन तोड़कर अकेले लडऩे का हौसला दिखा रही कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां रेडीमेड कैंडिडेट में निठल्ली हैं. सच्चाई ये भी है कि नवी मुंबई के 89 वार्डो में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के पास किसी भी चुनाव में उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल सके हैं ऐसे मेंनॉमिनेशन प्रक्रिया के शेष बचे 3 दिनों के भीतर विधान सभा के लिए हर सीट के लिए योग्य प्रत्याशी कहां से मिलेंगे, यह बड़ा सवाल है.

 बीजेपी-कांग्रेस के पास उम्मीदवार नहीं
एनसीपी के कब्जे वाली नवी मुंबई की दो में से एक बेलापुर सीट पर पालकमंत्री गणेश नाईक एवं दूसरी ऐरोली सीट से उनके छोटे बेटे संदिप नाईक विधायक हैं. दोनों ही पिता-पुत्र अपनी पुरानी सीट से ही दुबारा चुनाव लडऩे वाले हैं. शिवसेना के पास ऐरोली से पिछली बार हारे विजय चौगुले एक बार फि र किस्मत आजमाने वाले हैं. लेकिन बीजेपी के  पास दोनों ही सीटों पर कोई सर्वमान्य प्रतिनिधि नहीं है.  बीजेपी 4 महीने पहले एनसीपी छोड़कर कमल थामने वाली मंदा म्हात्रे को बेलापुर से टिकट देने की तैयारी में है हालांकि भाजपा के पुराने व वरिष्ठ पदाधिकारी अडिय़ल एवं तानाशाही रवैए वाली मंदा को प्रत्याशी बनाने पर खुलेआम विरोध में आ गए हैं. यहीं से मारुती भोईर एवं सतिश निकम भी भावी प्रत्याशियों की लिस्ट में हैं. बीजेपी के पास ऐरोली के लिए एक भी चेहरा सामने नहीं है. शिवसेना के पास बेलापुर से बतौर प्रत्याशी कई चेहरे कतार में हैं जिनमें शिवसेना के उपनेता एवं रिटायर्ड आईएएस विजय नाहटा, उपजिला प्रमुख एड. मनोहर गायखे, नगरसेवक विट्ठल मोरे एवं युवा सेनाधिकारी वैभव नाईक प्रमुख हैं. कांग्रेस इस लिहाज से सबसे पिछडी पार्टी है.हालांकि पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े नामदेव भगत और एनसीपी के साथ गठबंधन पर नाराजगी जता चुके वर्तमान जिलाध्यक्ष दशरथ भगत प्रत्याशियों की कतार में हैं.लेकिन ऐरोली में आज भी कांग्रेस के पास कोई सिंगल फेस उपलब्ध नहीं जिसे विधानसभा चुनाव में खड़ा किया जा सके. एनसीपी प्रत्याशियों के मामले में सबसे आगे और मजबूत स्थिति में है.
अधूरी कार्यकारिणी, कमजोर जनाधार
नवी मुंबई में शिवसेना की स्थानीय कार्यकारिणी सक्रिय और मजबूत है,जबकि बीजेपी कार्यकारिणी में चुनाव के दौरान तक अधिकांश पद योग्य पदाधिकारियों के अभाव में खाली पड़े हैं. ऐरोली में बीजेपी का विधानसभा अध्यक्ष या तालुका अध्यक्ष तक नहीं है.एनसीपी में पदाधिकारियों की भीड़ जरुर है परन्तु वहां कांग्रेस और शिवसेना जिलाप्रमुखों की तुलना में एनसीपी के जिलाध्यक्ष की पहचान जनता के बीच नदारद है. यहां एनसीपी की पहचान केवल गणेश नाईक एवं उनका राजनीतिक परिवार है. बहरहाल संगठनात्मक तौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस अपेक्षित जनाधार मजबूत कर पाने में बिफल रही है. हालांकि  59 नगरसेवकों के साथ वह मनपा की सत्ता पर काबिज है. भाजपा के पास केवल 1 नगरसेवक है वहीं शिवसेना के पास 16 जबकि राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के 13 नगरसवेक हैं. शिवसेना को छोड़कर मुख्यत: कांग्रेस, बीजेपी, मनसे, सपा एवं रिपाई सहित सभी पार्टियों की कार्यकारिणी अधूरी है. जमीनी स्तर पर सक्रियता कम है और जनाधार बेहद कमजोर है.

गठबंधन के बावजूद बगावत की संभावना
 नवी मुंबई की दो सीटों पर चुनावी संघर्ष से पहले ही गठबंधन होने की दशा में बगावत की बू आने लगी है. कांग्रेस खुले तौर पर अपने वर्षों के सहयोगी एनसीपी के खिलाफ नारा बुलंद करन ेलगी है. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दशरथ भगत हो या उपाध्यक्ष संतोष शेट्टी साफ कहने लगे हैं कि गणेश नाईक के समर्थन में काम नहीं करना है. गठबंधन की सूरत में उनका कहना है कि कांग्रेस विरोधियों को समर्थन करेगी. जाहिर है ऐसा कहने का मतलब है शिवसेना को जिताने की कोशिश. सहयोगी पार्टी कांग्रेस की इस भूमिका पर एनसीपी नेता एवं पालकमंत्री गणेश नाईक का कहना था कि विकास के दम पर एनसीपी चुनाव में जनता के सामने जाने वाली है कांग्रेस का सपोर्ट मिले न  मिले हमें जनता का भरपुर सहयोग मिलेगा. गणेश नाईक ने दुाराया कि नवी मुंबई को अत्याधुनिक शहर बनाने, जनता के विकास एवं कल्याण के लिए हम प्रतिबद्ध हैं जनता ने पहले भी प्यार दिया है आगे भी प्यार देकर विजय दिलाएगी. हालांकि बावजूद इसके सीटों पर माथापच्ची के बाद अगर शिवसेना-बीजेपी अथवा एसीपी कांग्रेस में गठबंधन हो भी जाता है तो दलगत बगावत की संभावना ज्यादा है. पिछली बार की तरह गठबंधन के लोग ही निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए अपने सहयोगी पार्टी का वोट काट सकते हैं. 2009 में कांग्रेस नवी मुंबई की एक सीट मांग रही थी नहीं मिला तो कांग्रेस ने तत्कालीन जिलाध्यक्ष नामदेव भगत को बेलापुर से जबकि वसंत म्हात्रे को ऐरोली से निर्दलीय चुनाव लडवाया, लेकिन मुंह की खायी. गठबंधन के तहत ही जनाधार का अभाव होते हुए भी बीजेपी को नवी मुंबई की एक सीट बेलापुर से चुनाव लडऩे का मौका मिला ,लेकिन वह भी हार गयी. कांग्रेस इस बार भी यही चाहती है कि एनसीपी से उसे एक सीट मिल जाए वर्ना गठबंधन न रहे.लेकिन सवाल ये है कि जब उसे नगरसेवक के लिए प्रत्याशी नहीं मिलते हैं तब  वह विधान सभा सीट के  लिए जीतने वाला सर्वमान्य प्रत्याशी कहां से लाएगी. या पिछली बार 2009 की तरह ही कांग्रेस हार का वही फिर फार्मूला दुहराएगी..
गठबंधन पर देरी : दलबदल से बचने की नौटंकी 
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि गठबंधन पर फैसले में देरी पार्टियों की सोची समझी राजनीतिक नौटंकी है. सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस एनसीपी दोनों ने अकेले लडऩे का फैसला कर लिया है लेकिन वे अपने दलगत विरोधियों को यह मौका नहीं देना चाहती कि वे टिकट पाने किसी दूसरी पार्टी में जा सके. नॉमिनेशन में महज 3 दिन बचे हैं जबकि प्रत्याशियों की घोषणा तक नहीं होना इसका ज्वलंत सबूत है. जीत की बजाय इन चारों पार्टियों के बीच सीट की लड़ाई बनकर रह गयी है जो खतरनाक है. शिवसेना बीजेपी को 130 की मांग पर 119 से ज्यादा नहीं देना चाह रही वहीं कांग्रेस भी 135 की मांग पर राकां को 124 से अधिक नही देने पर अड़ी है. 27 सितंबर को नॉमिनेशन की आखिरी तारीख है. गठबंधन नहीं होने की दशा में अगर कुछ लोग विरोध या बगावत कर टिकट के लिए दलबदल करते भी हैं तो भी उन्हें नॉमिनेशन खत्म होने के कारण चुनाव लडऩे का मौका नहीं मिल सकेगा. इस नौटंकी में छोटी पार्टियां स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रही हैं जो गठबंधन का हिस्सा हैं.

शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

हिम्मत न हार, चल हो जा तैयार

हिम्मत न हार, चल हो जा तैयार 

चिन्ता न कर अपने मान-सम्मान का
चिन्ता न कर प्यारे भूत-वर्तमान का

बढ़ते चलो आगे , बोल जयकार...१
हिम्मत न हार,चल हो जा तैयार....

चिन्ता से मिलता न कोई समाधान है,
वन्दे फिर इतना क्यूं सोंच परेशान है

साहस की नौका, कराए बेड़ापार...2
हिम्मत न हार,चल हो जा तैयार.....

टाइम ही टीचर है संकट में शिक्षा ले,
अपने-परायों के  प्यार की परीक्षा ले

है जीवन संघर्ष, लड़ो भरके हुंकार ....3
हिम्मत न हार, चल हो जा तैयार....

स्वारथ की दुनिया,न दूजों की आस कर
अपने जमीर, हौसलों पे विश्वास कर

तकदीर तेरी भी बदलेगी यार...4
हिम्मत न हार, चल हो जा तैयार....                        

                          -सुधीर शर्मा