बुधवार, 15 अक्टूबर 2014

नोट की लालच में लाखों ने डाला वोट

चुनाव में हर तरफ बोलता रहा पैसा 
symbolic photo from google
संविधान को सबसे ऊपर कहने वाले, देश की सेवा का ढोंग करने वाले ऐसे कितने ही अनगिन लोगों समाजसेवियों को इस बार के चुनाव ने बेईमान बना दिया। वोट के बदले नोट रोकने की तमाम फालतू कोशिशों के बीच नेताओं और प्रत्याशियों के समर्थकों ने  माई बाप मानकर खूब पैसा लुटाया।यह पैसा हारने पर हवा में गया लेकिन जीते तो हम जनता की कल्याणकारी योजनाओं से निकालेंगे ये उम्मीदवार जिनसे हमने प्यासे लेकर विकास की उम्मीद पाली है।  लोकतंत्र को लूटने में जो चोर लगे हैं हम उन्हें नेता कहते हैं ,जो लूट में हिस्सेदार बन रहे हैं उनमे जनता भी आ गयी है। तो हुए न चोर चोर मौसेरे भाई।फिर अब कोई लूट या घोटाला हो तो किसी नेता मंत्री को मत कोसना। …
गौर करें तो इस बार ठाणे एवं रायगढ़ दोनों ही जिलों में मतदान का प्रतिशत 2009 की अपेक्षा 5 से 6 फीसदी ज्यादा नजर आया. जानकारों की राय में वोटिंग परसेन्टेंज का बढऩे के पीछे गठबंधन की बजाय अलग चुनाव लडऩा, स्पर्धा में सबकी प्रतिष्ठा एवं वर्चस्व की लड़ाई का होना तथा सोसल मीडिया का इस्तेमाल के अलावा वोट के बदले जमकर नोट बांटना मुख्य कारण हैं.हालांंकि निर्वाचन विभाग एवं सुरक्षा एजेंसियां पारदर्शी एवं निष्पक्ष तथा शांतिपुर्ण चुनाव की सफलता पर अपनी पीठ थपथपा रहा है.
आंकड़ों के अनुसार 2009 के विधानसभा चुनाव में ठाणे में औसत 51.53 प्रश मतदान हुआ जिसमें इस बार 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है. वहीं नवी मुंबई की बेलापुर सीट पर पिछले साल 46.71 के बदले इस बार ४ प्रतिशत वृद्धि के साथ ५० फीसदी मतदान हुआ है. ऐरोली में में भी पिछले बार की तुलना में तरकरीबन 5 फीसदी अधिक मतदाताओं ने वोट डाला है.यहां इस बार 54 फीसदी मतदान दर्ज हुआ है. ग्रामीण इलाका होने के बावजूद उरण में वोटिंग के प्रति बढ़े रुझान के कारण 2009 में हुए 68.29 की तुलना में 4 प्रतिशत ज्यादा 72 फीसदी मतदान हुआ है.वहीं पनवेल में इस बार कुल 67 प्रतिशत वोटिंग हुई जो 2009 की 61.64 की तुलना में 6 फीसदी अधिक है.

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