सोमवार, 2 मई 2016

‘सिग्नोरा तुम्हें गांंधी से रिश्ता बताना होगा'



 अगस्तावेस्लैंड हेलीकाप्टर सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थक पांचजन्य ने सवाल किया है कि इस मामले में रिश्वत देने वाले जेल में है तो रिश्वत लेने वाले कौन हैं? यह सिग्नोरा है कौन? एक अजब का झीना परदा पड़ा है जिसके पार जनता सब देख रही है, इसलिए सिग्नोरा तुम्हें आना होगा, गांधी से अपना रिश्ता बताना होगा.
''इटली की अदालत से भारत को ठगने वालों की खबरें, राज्यसभा में कुछ अच्छे चेहरों की दस्तक देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के घर को थर्रा रही है.'' हालांकि वक्त बदल चुका है, आज भारी भरकम सौदों में संदिग्ध लेन-देन के लिए दलालों के कूटनाम से ज्यादा जटिल बच्चों के स्मार्टफोन के पासवर्ड और पैटर्न हो गए हैं. संपादकीय के अनुसार सिग्नोरा इतालवी शब्द है जिसका संबोधन हिन्दी में श्रीमती सरीखा है. लेकिन सिग्नोरा को घेरने घोटाले का भूत इटली से भारत चला आयेगा, यह किसी ने सोचा था क्या ? देश की सबसे बुजुर्ग पार्टी के लोगों का आग्रह है कि इसे किसी खास नाम से जोड़ने की भूल न की जाए लेकिन भूल तो हल्ला की धूल उठने से पहले ही कोई कर चुका है. पांचजन्य ने सवाल उठाया है कि ‘‘घूस देने वाला जेल में है तो घूस लेने वाला कौन है? यह सिग्नोरा है कौन? इस विस्फोटक खुलासे से आशंका और कयास लगने शुरू हो गए और आफत से घिरा एक राजनीतिक दल अपने आकाओं पर से ध्यान हटाने के लिए कुछ भी कर सकता है. लोग इसके लिए तर्क दे रहे हैं और दंगों के इतिहास से उस दल का रिश्ता बता रहे हैं. इसमें कहा गया है कि दाग और दादागिरी से उस दल का पुराना रिश्ता है.  देश की सबसे बड़ी पंचायत में दादागिरी की गुर्राहट का इतिहास रहा है. बताया जा रहा है कि 'डिजिटल मीडिया पर यह डर और आशंका है लेकिन इसे सिर्फ आशंकित लोगों का डिजिटल डर मानना गलत होगा. यह दुनिया के सबसे युवा देश की त्वरित, सटीक प्रतिक्रिया है.....
  जनता के सामने सिग्नोरा की यह पहेली पार्टी को समझानी है जिसके माथे इटली की यह आफत आ पड़ी है.. सिग्नोरा के साथ भारतीय राजनीति के उस पुरखे का उपनाम भी विदेशी अदालत में उछला जिसके लिए भारतीय समाज की भावनाओं को भुनाया जाता रहा है.गौर करने वाली बात है कि सात दशक के लोकतांत्रिक सफर में कुछ राजनीतिक दलों ने यह साबित कर दिया कि उनके लिए गांधी सिर्फ वोट हैं, लेकिन इटली की अदालत से पता चला कि सिग्नोरा के लिए गांधी सिर्फ नोट हैं. ‘‘इटली में खुलते चिट्ठों में सिग्नोरा को हेलीकाप्टर सौदे में मुख्य कारक बताया गया है. उस समय कमान थामने वाले हाथ आज किसका चेहरा ढंकना चाहते हैं.
केजरी और नीतीश में इतनी हिम्मत कहां?
संभव है कि इस लेख को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा से जोड़कर देखने वाले  60 महीने की बीजेपी सरकार से सवाल पूछेंगे.. लेकिन उन्हें 125 साल की कांग्रेस से सवाल पूछने का वक्त है. मोदी की डिग्री और बर्थडेट पर सवाल उठाकर देशहित की कवायद करने वाले घृणित मानसिकता वाले नेताओं को चाहिए कि वे करोड़ों हिन्दुस्तानियों की सुरक्षा के बदले गद्दारी एवं सौदा करने में शामिल सिग्नोरा से सवाल पूछने की हिम्मत जुटाएं. खुद को मसीहा बताने वाले केजरीवाल सोनिया को चिट्टी लिखकर स्वयं सफाई देने की मांग क्यों नहीं करते. इतना कलेजा केजरीवाल के पास नहीं है. पीएम का सपना देखने वाले शरद पवार, मुलायम और नीतिश का जिगरा भी आगस्ता के आरोपियों से सवाल पूछने का नहीं दिखता....शायद हो भी तो वे पूछेंगे नहीं क्यों कि इनकी नियत में खोट है...ऐसा नहीं होता तो भला ये खामोश क्यों होते...खैर सुरक्षा के साथ सौदेबाजी करने वाले अब मुद्दे से देशवासियों का ध्यान हटाने संसद में हंगामा और सड़कों पर प्रदर्शन पर उतारू हो गए हैं...कल गांव गली तक धरना देंगे...परसो चक्का जाम करेंगे, तरसो...हंगामा बरपाएंगे. ..शायद खुद को बचाने कौमी नफरत का नया बीज बो दें..जाहिर है जब यह बीज फूटेगा तभी तो इनकी कथित राष्ट्रभक्ति उभरेगी.तब मोदी का हिन्दुस्तान को बुलंदियों पर ले जाने का अभियान राई-छाई हो जाएगा...न बुलेट रहेगी..न विकास रहेगा..तब शायद एक चीज जरूर रहेगी ----कौमी रंजिश ....मुझे तो यही दिख रहा है...जरा आप भी सोंचिए....शायद आपको कुछ और दिख जाए जनाब.........