बुधवार को मुंबई में एक दिन में 300 मिमी बारिश के साथ आयी आफत बेहद तकलीफदेह रात की तरह गुजरी. हजारों लोग जो आफिस के लिए निकले थे वे रास्ते में फंसे रहे. तमाम लोग अपने कार्यालयों में तथा रेलवे स्टेशनों पर फंसे रहे. हालांकि राहत की बात ये रही कि इनके लिए स्थानीय लोगों ने लोगों के लिए मदद का हाथ बढ़ाकर मुंबई को जिन्दादिल होने का सबूत दिया. इसमें स्थानीय लोगों के साथ ही गणपति मंडल, गुरूद्वारा एवं मस्जिदों के स्वयंसेवियों ने अच्छी भूमिका निभायी तथा लोगों के लिए खाने के सामान, पानी और रहने के लिए सुरक्षित जगह भी दी. हर बार की तरह इस बार भी मुंबईकरों ने इंसानियत और भाईचारे का परिचय देते हुए सामूहिक सहायता की नयी मिसाल कायम की, जो काबिले तारीफ है.
इस बार बारिश की आफत में मदद के लिए जगह जगह सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी भी देखने को मिली. सड़कों और निचले इलाकों में भारी जलजमाव के बावजूद और धीमी ट्रैफिक के बीच पुलिस ने रात भर यातायात को नियंत्रित करते हुए जिम्मेदारी निभाई. मुंबई पुलिस की सक्रियता और जिम्मेदारी उसके ट्विटर हैंडल पर भी साफ दिखी जिसके जरिए नागरिकों को निरंतर मौसम और सड़कों की हालत के अपडेट्स दिए जा रहे थे. नागरिकों ने भी पुलिस की इस चौकस भूमिका की सराहना की.
हालांकि इन सबके बीच प्राकृतिक आपदा के इस प्रकरण ने हमें अगली बार और बेहतर करने के लिए क्या सिखाया है? इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है....
1. मुंबई में पूरे शहर में 4700 से अधिक सीसीटीवी कैमरे हैं। इन कैमरों से जो भी जानकारीपूर्ण छवियां प्राप्त होती हैं, वे मुंबई पुलिस के ट्वीटर हैंडल से जोड़कर यूजर्स को सही और सटीक जानकारी दी जा सकती है. ताकि आगे क्या हो रहा है उसकी स्थिति सड़क के उपयोगकर्ताओं को बेहतर ढंग से मालूम हो सके।
2. बेहतर सूचना प्रसार के लिए सड़कों पर इलेक्ट्रानिक बोर्ड लगे हैं हालांकि इसे और प्रभावी बनाने इनकी संख्या में काफी बढ़ोतरी किए जाने के जरूरत है.
3. वाहन चालक आमतौर पर Google नक्शे पर भरोसा करते हैं ताकि उन्हें अपने गंतव्य के लिए सबसे तेज़ संभाव्य मार्ग का पता चल सके। लेकिन आपदा के समय में, ऐसे मार्ग अप्रचलित हो सकते हैं। और उन्हें जानने का कोई तरीका नहीं है कि पुलिस सीसीटीवी नेटवर्क के साथ एकीकृत GIS नक्शे का उपयोग कर इसे एक अद्यतन और उपयोगी टूल के रुप में इस्तेमाल कर सकती है जिसके जरिए सड़क और ट्रैफिक की स्थिति को उपयोगकर्ताओं को सूचित करने के काम में लाया जा सकता है. भौगोलिक जानकारी के साथ शहर का एक नक्शा आधारित दृश्य आपदा में फंसे सूचना की तलाश में लगे नागरिक के लिए महान वरदान हो सकता है.
वर्तमान में, सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए, शहर के नक्शे पर जमीनी जानकारी का कोई एकत्रीकरण नहीं है. इसके अलावा, यातायात पुलिसकर्मी सीसीटीवी कैमरों द्वारा कवर नहीं किए गए सड़कों पर जलग्रस्त साइटों पर यातायात की भीड़ के फोटो / वीडियो ले सकते हैं, जिससे शहर भर में इस तरह की साइट्स के लेट लाँग्स को नक्शे पर दिखाया जा सकता है और पानी के प्रवेश और आवागमन के समग्र दृश्य प्रदान किए जा सकते हैं. शहर भर में भीड़ की समस्या और नक्शे पर घर जाने वाले लोग यात्रा के लिए आवश्यक निर्णय ले सकते हैं. इसका फायदा रोड पर ड्यूटी में लगी अन्य पुलिस कर्मियों को हो सकता है , जो नक्शे पर बड़ी तस्वीर या जलजमाव को देखते हुए ट्रैफिक को डायवर्ट करने का निर्णय ले सकते हैं.
4. पुलिस वेबसाइट पर जीआईएस मानचित्र-आधारित दृश्य सूचना शहर में भोजन / पानी / आश्रय स्थलों की जानकारी दे सकती है. नागरिकों द्वारा स्वैच्छिक प्रयासों की ऐसी जानकारी को बुधवार की रात को WhatsApp और ट्विटर पर प्रसारित करते हुए भी देखा गया था. इन स्वयंसेवी गतिविधियों के साथ-साथ सरकारी इंतजामों की एकत्रित जानकारी से आपदा की स्थिति में स्थिति को शांतपूर्ण बनाए रखने में मददगार रहेगा. इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड भी ऐसी जानकारी प्रदर्शित कर सकते थे.
5. विशिष्ट विषयों के लिए जैसे यातायात आंदोलन या स्वैच्छिक सहायता जैसे भोजन / पानी / आश्रय के लिए हैशटैग सामाजिक मीडिया के सार्वजनिक उपयोगकर्ताओं के जरिए प्राप्त जानकारी और तस्वीरों को पुलिस द्वारा उपयोग किया जा सकता है। उपयोगकर्ताओं को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार प्रासंगिक सूचना प्राप्त करने के लिए इस जानकारी को नक्शे पर अपलोड किया जा सकता है। परेशानी वाले कॉल करने वालों के लिए उपयोगी मार्गदर्शन के साथ जवाब देने के लिए पुलिस के नियंत्रण कक्ष में जानकारी के इस तरह के मानचित्र आधारित एकत्रीकरण भी बहुत उपयोगी होंगे।
आपदा की स्थिति में, लोग उचित जानकारी और राहत के लिए सरकार से बड़ी उम्मीद करते हैं. ऐसे में तकनीक एक प्रभावी समन्वय और सहायता प्रदान करने में कारगर स्रोत की भूमिका निभा सकती है.
साभार (IPS प्रज्ञा सरवदे के ब्लाग आर्टिकल का हिन्दी रुपांतरण)


कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें