रविवार, 26 नवंबर 2017

वो निज देश हित पाक से दौड़ आए, घुसे ताज में कितना तांडव मचाए

(26-11 की त्रासदी के बाद शब्दों में उतरी हुई एक वेदना)


वो निज देश हित पाक से दौड़ आए
घुसे ताज में कितना तांडव मचाए
कई जानें ली,खून कितना बहाए
 कई गोद, माँगों को सूना बनाए..


. .........00000.......
पर अपुन सोचते क्यों मुसीबत बढाएं.
निरर्थक ही पैसा-समय क्यों गवाएं॥
व्यवस्था से क्यों ब्यर्थ पंगा लड़ाएं,
जो खाली हैं वे खुद करें या कराएं ।

यही है वजह जिससे मुश्किल बढ़ी है.
हैं कहते सभी बस हमें क्या पड़ी है ॥

 हैं सब सोचते कोई आएगा पहले.
सोते हुओं को जगाएगा पहले ।
संकट हमारा मिटाएगा पहले ,
नया रास्ता खुद दिखाएगा पहले ॥


बताओ यही हाल कब तक चलेगा.
मिटाए बिना मर्ज कब तक मिटेगा,
बिना बीज बोए कहां फल मिलेगा
पतित हो रहा हिन्द कैसा उठेगा ॥

अब केवल नहीं काम कहने से होगा,
ना नेता, नियति को उलहने से होगा.
झुका शीश हरदम न सहने से होगा
स्वयम के लिए स्वयं करने से होगा॥


ये है देश अपना बताना पड़ेगा .
यहां फर्ज सबको निभाना पड़ेगा,

जरूरत पड़ी जख्म खाना पड़ेगा
लहू देश हित निज बहाना पड़ेगा
चिता भी स्वयं की सजाना पड़ेगा
औ रोते हुए गीत गाना पड़ेगा ॥

आओ पहल आज मिलकर करें हम
जहां जुल्म होवे,हों मिलकर खड़े हम
      सबको लिए साथ मिलकर चलें हम.....

-सुधीर शर्मा- 

ओ बंधु चल, ओ साथी चल..ऐसे ही सोए रहे तो पछताओगे कल.


ओ बंधु चल, ओ साथी चल.
ऐसे ही सोए रहे तो पछताओगे कल..।
ओ बंधु चल, ओ साथी चल..........।।



 जब लाखों ने जान गंवायी,
 तब भारत ने आजादी पायी..
यूं भूले तो हो जाएगी कुर्बानी निष्फल..ओ बंधु चल..।।1।।



रोटी-कपड़ा और दवाई,
छीन रही सब कुछ महंगाई..
चूल्हे में अरमां जले और खुशहाली हर पल.ओ बंधु चल.।।2।।


राजनीति का थोथा दावा,
सब वादा, उत्थान छलावा..
चुप बैठे तो ये नेता जाएंगे देश निगल..ओ बंधु चल..।।3।।


आरक्षण ने फिर ललकारा..
संघर्षों में कौशल हारा....
वर्षों से बन रहे हैं हम, बहकावे में पागल..ओ बंधु चल..।।4।।


ऐसे ही सोए रहे तो पछताओगे कल...
.....ओ बंधु चल, ओ साथी चल.....