मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

वतन वापसी के लिए छटपटा रहे कश्मीरी पंडित


 बुलंद हो रही कश्मीरी पंडितों की आ‍वाज
सरकार से मांग रहे अपना मादरे वतन 

अपने ही देश में रिफ्यूजी बन कर रहने का दंश झेल रहे  कश्मीरी पंडित एक बार फिर मादरे वतन के लिए अपनी आवाज बुलंद करने में जुट गए हैं.शनिवार को फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने कश्मीरी पंडितों के लिए अलग कालोनी, और पुनवर्सन की मांग कर उनकी आवाज को नया हौसला दे दिया है.अनुपम खेर खुद कश्मीरी पंडित हैं, उनकी पत्नी फिलहाल भाजपा की सांसद हैं. ऐसे में अनुपम खेर की मांग केन्द्र की भाजपा नित मोदी सरकार तक जाएगी ऐसा संकेत मिल रहा है. वे तो यहां तक कह गए कि कश्मीर से धारा 370 को हटाए बिना वादी का भला नहीं हो सकता. खेर धारा 370 को कश्मीर के विकास में बड़ी बाधा मानते हैं, जिससे कश्मीरी पंडितों को अपना वतन छोड़ कर आतंकी नासूर के कारण पलायन करना पड़ रहा है. 2015 के जुलाई माह में झमाझम बरसात के दौरान नवी मुंंबई के शिवाजी चौक पर धरना प्रदर्शन कर कुछ कश्मीरी पंडितों ने  केन्द्र सरकार से अपनी वतन वापसी का इंतजाम करने की मांग की थी. वे कहते हैं कि  जिस कश्मीर को खून से सींचा, वह कश्मीर हमारा है, हम होमलैंड लेकर रहेंगे . हम अपना होमलैंड छीन के रहेंगे. नारा भी गूंजता है कि मर के लेंगे होमलैंड, मार के लेंगे होमलैंड . कश्मीरी पंडित मानते हैं कि  अलगाववादी नेता यासिन मलिक तथा गिलानी को फांसी देकर कश्मीर को आजाद किया जा सकता है क्योंकि यही लोग कश्मीरी पंडितों का खून बहाने के लिए आतंकियों को उकसा रहे हैं. कश्मीरी पंडित एसोएिसशन एवं पणून कश्मीर संस्था के  महासचिव अश्विनी भट्ट ने कहा कि पिछले 25 सालों से 7 लाख से अधिक कश्मीरी पंडित अपने मादरे वतन से बिछड़े हैं. हमें वतन वापसी करनी है, लेकिन वहां अलगाववादी हुरियत नेताओं एवं राष्ट्रविरोधी लोगों ने कश्मीरी पंडितों के लिए मुसीबत खड़ी कर रखी है.
अपने ही वतन में हैं पराए कश्मीरी पंडित 
प्रदर्शनकारी कश्मीरी पंडितों ने कहा कि हम अपने ही प्रांत में दर-बदर हैं.  केन्द्र की मोदी सरकार ने हमारा वतन दिलाने का वादा किया था लेकिन पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार के कुछ नेताओं एवं राष्ट्रविरोधी ताकतों ने उसमें अडंगा लगा दिया है. यासिन मलिक तथा गिलानी को कश्मीर का दुश्मन बताते हुए अश्विनी भट्ट ने कहा कि वे कहते हैं कि कश्मीरी पंडित आएंगे तो वहां की जमीनों पर कब्जा कर लेंगे. जबकि सच्चाई ये है कि कश्मीर को हमने अपना खून पसीना लगाकर सींचा है, वो हमारी जमीन है. उस पर कब्जा जमाने का सवाल कहां से आया.  एक अन्य पदाधिकारी अनिल टीकू ने कहा, पहले जो मुस्लिम हमारे खेतों में मजदूरी करते थे, आज वे हमारी जमीनों के मालिक बन कर बैठ गए हैं , और हम लाखों कश्मीरी पंडित बेवतन होकर भटक रहे हैं. 

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