मंगलवार, 5 जनवरी 2016

'इल्लीगल को लीगल बना दो साहब'

संदिप नाईक की गवर्नर से गुहार

गवर्नर से मिले सागर नाईक, संजीव नाईक, महापौर सोनावणे, संदिप नाईक
नवी मुंबई,  दिघा में चल रही तोड़ू कार्रवाई को रोकने के लिए स्थानीय राकां विधायक संदिप नाईक आज कल हर मंत्री-महकमा का दरवाजा खटखटा रहे हैं जहां से कोर्ट की कार्रवाई को रोका जा सके. मंगलवार को  उन्होंने गवर्नर सी. विद्यासागर राव को निवेदन देकर अवैध घरों को बचाने की गुहार लगाई. संदिप नाईक अवैध निर्माण के आरोपी नगरसेवक नवीन गवते संग मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से भी मिले और जमींदोज हो रही इमारतों को बख्शने की अपील की.कुछ उपाय ढूंढ़ने की याचना दुहरायी. बाद मुलाकातों के बताया गया कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों ने ही पीड़ितों के हित में सकारात्मक पहल का भरोसा दिलाया है. आप को याद दिला दें कि यहां 96 इमारतें अवैध घोषित की गयी हैं. बांबे हाइकोर्ट ने 4 महीने पहले सभी बिल्डिंगों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है.इन्हें बनाने वाले आरोपियों के खिलाफ भी आपराधिक मामला बना है.नवीन गवते उनमें से एक हैं जिन्हें साथ लेकर विधायक मंत्री-महकमों में हाथ जोड़ रहे हैं. बताया जाता है दिघा में सबसे अधिक अवैध इमारतें नवीन गवते ने बनवायी है.उनकी नगरसेवक बीबी अपर्णा गवते, सहित कई परिजनों पर भी आरोप है. गवते समूह खुद का नाम और कमाई बचाने छटपटा रहा है. गरीबों की बर्बादी को आगे कर भूमाफिया अवैध इमारतों को बचाना चाहते हैं क्योंकि राहत सिर्फ इमारतों को नहीं आरोपियों को भी मिलेगी...इसलिए राजनीति भी खूब चल रही है. राजनीतिक विरासत भी दांव पर लगी है, सो विधायक भी मदद के नाम पर इल्लीगल को बचाने राहत संघर्ष में कूद पड़े हैं.

साथ-साथ भटक रहे पूर्व एमपी-महापौर

अवैध का निर्माण और उसे संरक्षण देना दोनों लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951के खिलाफ है.ऐसे लोग भी अपराधी माने जाते हैं. उनके पद को रद्द करने का भी कानूनी प्रावधान है. हालांकि सिर्फ राजनीतिक विरासत बचाने की मजबूरी के चलते राकां के बड़े स्थानीय नेता पूर्व सांसद संजीव नाईक और पूर्व महापौर सागर नाईक भी नगरसेवक गवते के साथ घूम रहे हैं. वर्तमान महापौर सुधाकर सोनावणे भी समर्थन में पीछे पीछे चक्कर लगा रहे हैं. बताया जा रहा है कि विरोधी पार्टी के मुख्यमंत्री फडणवीस से ज्यादा मदद की गुंजाइश नहीं दिखने का कारण अब राज्यपाल से गुहार लगाई जा रही है ताकि मानवीय आधार पर अवैध मकानों और आरोपियों को बचाने का मामला कुछ दिन और खिंचता रहे...विरोधियों का आरोप है कि यह सब काली कमाई करने वाले नगरसेवकों को बचाने की कवायद है जबकि एनसीपी विधायक संदिप नाईक इसे सथानीय रहिवासियों के आशियाने को बचाने की पहल मानते हैं. उन्होंने कहा यह राजनीति नहीं है..लोगों को बेघर होने से बचाने का प्रयास है..कोई क्या कहता है इससे फर्क नहीं पड़ता..लेकिन सवाल उठता है कि आखिर गैरकानूनी काम करने वालों को बचाना कितना जायज है..

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