शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

सरकार ने दिया भोजन का अधिकार

गरीबों को १ रूपये में मिलेगा अनाज

शुक्रवार १ फरवरी से महाराष्ट्र में खाद्य सुरक्षा योजना लागू हो गयी है। ३१ जनवरी को ऐरोली के पटनी ग्राउंड पर शुक्रवार दोपहर २० हजार लोगों कि मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने इसका  उद्घाटन किया।भुखमरी मिटाने और अन्न के कानूनी अधिकार देने के मकसद से प्रारम्भ हुयी इस महत्वाकाँक्षी योजना से ४५ फीसदी शहरी और ७६ फीसदी ग्रामीण इलाकों को लाभ मिलने वाला है. 
 कृषि मंत्री ने उम्मीद जतायी कि अब कोई भी गरीब अन्न के अभाव में भूखा नहीं रहेगा.फिलहाल ६०  हजार तक  आय वाले  एक ब्यक्ति को प्रति माह ५ किलो अनाज जबकि अंत्योदय के तहत ४४ हजार से कम आय वालो को प्रति माह ३५ किलो अनाज मिलेगा।राशन दुकानो से मिलने वाले खाद्यान्न में १ रुपये किलो ज्वार-बाजरा, २ रुपये  किलो गेहूं और ३ रूपये किलो चावल देने का प्रावधान है. कृषि मंत्री ने बताया कि चावल में प्रति किलो २३ रूपये जबकि गेहूं में १८ रूपये कि रियायत दी जा रही है जिससे राज्य  सरकार को १४०० करोड़ की सब्सिडी का बोझ वहन करना पड़ेगा। सीएम पृथ्वी राज चव्हाण ने कहा कि हमारी सरकार लोक हितकारी है इसलिए गरीबों के लिए नुकसान के बावजूद ऐसे अभियान चलाती रहेगी।फिलहाल खाद्य गारंटी योजना को पारदर्शी तरीके से लागू करने कि जरुरत है। इसकी नुक्ता चीनी करते हुए अन्न सुरक्षा अभियान संस्था ने कहा कि इससे पौने ८ करोड़ राशन कार्ड धारकों को भले ही लाभ मिलेगा लेकिन १.७७ करोड़ ऐसे जरुरत मंद लोग इस  से वंचित रह जायेंगे जिनके पास राशन कार्ड ही नही है.संस्था ने अनाज के साथ दाल और तेल का भी वितरण करने की मांग की है. 
 अन्न उत्पादन पर किसानों की सराहना
 पवार ने कहा कि पहले हमें अपने देश की जरूरतों के लिए बाहर से अनाज आयात करना पड़ता था,  लेकिन किसानों कि मेहनत , उन्नत बीज और आधुनिक कृषि तकनीकों की वजह से इतना अन्न उत्पादन हो रहा है कि हर साल लाखों टन खाद्यान्न विदेशों में निर्यात किया जा रहा है. इस खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत देश के ८२ करोड़ लोगो को जबकि महाराष्ट्र में ७.९० करोड़ गरीबों को सस्ता अनाज मिलेगा।

गुरुवार, 30 जनवरी 2014

संविधान नहीं मानता महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता

सरकार ने कहा-नहीं देंगे उपाधि 


सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि इसका कारण यह है कि देश का संविधान शैक्षिक और सैन्य उपाधि के अलावा कोई और उपाधि देने की इजाजत नहीं देता. लखनऊ की दस साल की बच्ची ऐश्वर्या पराशर ने कहा कि वे अपील करेंगी कि सरकार संविधान में संशोधन करें ताकि महात्मा गांधी को यह उपाधि दी जा सके.छठी कक्षा में पढ़ने वाली ऐश्ववर्या के पिता संजय शर्मा ने बताया कि उनकी बेटी सात साल की उम्र से आरटीआई के तहत जानकारी लेती आई हैं.

'राष्ट्रपिता' क्यों?

ऐश्वर्या ने यह पूछा था कि गांधीजी को 'राष्ट्रपिता' क्यों कहा जाता है और क्या उन्हें यह उपाधि दी गई है.इसके जवाब में उसे बताया गया कि गांधीजी को ऐसी कोई उपाधि नहीं दी गई है.इसके बाद उसने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी करने के लिए कहा.ऐश्वर्या की यह अर्जी गृह मंत्रालय को भेजी गई और पूछा गया कि उसके आवेदन पर क्या कार्यवाही की गई है.गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' का खिताब न दिए जाने के लिए संवैधानिक मजबूरियों का हवाला दिया.मंत्रालय का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 8(1) शैक्षिक और सैन्य खिताब के अलावा सरकार को कोई और उपाधि देने की इजाजत नहीं देता।

बुधवार, 29 जनवरी 2014

मरते हुए देश को बचाओ साथियों

खारा  कहीं गंगा का किनारा हो न जाए.
बुझा हुआ शोला फिर अंगारा न हो जाए
नष्ट भ्रष्ट भाग्य फिर हमारा हो न जाए
टुकड़े-टुकड़े देश फिर दुबारा हो न जाए। .
सो रहे शहीदों को जगाओ साथियों। .
मरते हुए देश को बचाओ साथियों। .

यह देश किसी एक कि जागीर नहीं है.
किसी एक कड़ी कि जंजीर नहीं है
किसी परिवार कि तस्बीर नहीं है
किसी एक बेटे कि तकदीर नहीं है।
 द्वार-द्वार अलख ये जगाओ साथियों
मरते हुए देश को बचाओ  साथियों।।
-----गोपाल दास नीरज

हिरनी संभल कर रहो यहां शिकारी बहुत हैं

मुंबई। एनसीपी नेता और महाराष्ट्र महिला आयोग की सदस्य आशा मिरगे ने महिलाओं को बलात्कार के लिए जिम्मेदार बताकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। आशा मिरगे ने महिलाओं के साथ लगातार हो रहे यौन शोषण के लिए उनके पहनावे को जिम्मेदार ठहराया है। आशा मिर्जे महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता भी हैं। मिर्जे ने नागपुर में हुई पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा कि महिलाओं का रहन-सहन और पहनावा बलात्कार की घटनाओं को बढ़ावा देता है। मिरगे यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने कहा कि रेप महिला के कपड़े, चाल चलन और गलत जगह पर रहने से होते हैं। उन्होंने कहा कि 20-25 फीसदी युवतियां सजगता के आभाव में दुष्कर्म का शिकार बनती हैं।

निर्भया और फोटो पत्रकार ही दोषी! 
कोर्ट ने जहाँ बलात्कारियों को दोषी मानते हुए कारवाई का आदेश दिया है वहीँ जराज्य महिला आयोग कि अध्यक्षा खुद लड़कियों को दोषी मन रही हैं. दिल्ली के निर्भया गैंग रेप मामले में पीड़िता को ही दोषी ठहराते हुए मिरगे ने कहा कि रात को वो दोस्त के साथ फिल्म देखने क्यों गई थी? यही नहीं मिर्जे ने मुंबई के शक्ति मिल्स परिसर में महिला फोटो पत्रकार के मामले में कहा कि महिला को सुनसान जगह जाने की क्या जरूरत थी।
मिरगे ने एनसीपी की महिला इकाई के सम्मेलन में कहा कि मैं आपको एक कविता सुनाती हूं, सावन में हिरणी संभलकर रहो नहीं तो कोई शिकारी शिकार कर लेगा। इसके बाद उन्होंने कहा, हिरणी ही क्यों कहा? हिरण क्यों नहीं?.. क्योंकि हिरणी को ही संभलकर जीने की जरूरत है। पर हम संभलकर जीते हैं क्या? ..संभलकर रहना चाहिए। इस उम्र में भी मैं मिर्ची के पैकेट साथ रखती हूं। संभलकर ही जीना चाहिए।
आशा के बयान के बारे में जब एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक से पूछा गया तो, उन्होंने इससे पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा, न तो मैंने आशा के बयान को सुना है और न ही मुझे इसके बारे में कोई जानकारी है। यदि उन्होंने ऐसा कुछ कहा है, तो यह उनकी व्यक्तिगत राय है।
 राष्ट्रीय महिला आयोग ने मिरगे के इस बयान को शर्मनाक बताया और नोटिस जारी कर 7 दिनों के भीतर जवाब मांगा है

सोमवार, 27 जनवरी 2014

लता के साथ १ लाख ४२००९ ने गाया-जरा याद करो कुर्बानी

मुंबई 1962 में चीन से युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों की याद में 1963 में गाए गए गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों...' का स्वर्ण जयंती समारोह मुंबई में मनाया गया। इस गाने को गाने वाली मशहूर गायिका लता मंगेशकर को बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया। समारोह में परमवीर चक्र, महावीर चक्र और अन्य वीरता पुरस्कार प्राप्त 100 से अधिक लोगों को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर बीजेपी के पीएम कैंडिडेड नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर कवि प्रदीप ने यह गीत नहीं लिखा होता तो शायद 1962 के शहीद हमें याद न होते। लता ने 27 जनवरी 1963 को पहली बार यह गीत गाया था। लता के साथ वहां मौजूद 1,42,009
 लोगों ने सुर मिलाए। लता ने कहा कि नरेंद्र मोदी मेरे भाई हैं। उनसे सम्मान पाकर मैं खुश हूं। उन्होंने बताया कि जब पहली बार मैंने यह गीत गाया था तो पंडित नेहरू बहुत खुश हुए थे। इंदिरा गांधी ने अपने दोनों बच्चों से मुझे मिलवाया था। अब तक देश के बाहर 101 शो में मैं यह गाना गा चुकी हूं।

ये है 34 लाख का फोन नंबर, क्या आपने इसे डायल किया?

नई दिल्ली। देश के बड़े शहरों में कॉल ऑन कैब का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ गया है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन या घर से बाहर निकलते समय लोग इन कैब ऑपरेटर्स को कॉल कर गाड़ी बुलाते हैं। लोगों के लिए यह एक बड़ी सुविधा है। बस एक नंबर डायल करो और आपके पास कैब पहुंच जाती है। इतना ही नहीं कैब सर्विसेज 24 घंटे आपकी सर्विस में हाजिर रहती हैं। ऐसे में लोगों को कंपनी याद नहीं रहती। उनको याद रहता है तो नंबर। इन नंबरों को खरीदने के लिए लोग लाखों रुपये खर्च करने के लिए भी तैयार हैं। अब जिस प्रकार से शहरों में कैब सर्विस का बोलबाला बढ़ा है, ठीक उसी प्रकार इन ऑपरेटर्स के बीच प्रतिस्पर्धा भी खूब बढ़ी है। इस समय शहर में न जाने कितनी कैब सर्विसेज मौजूद हैं। यदि दो-चार को छोड़ दें तो बाकी सभी का नाम याद रख पाना मुश्किल हैं। कैब ऑपरेटिंग बिजनेस एक बात की जबर्दस्त होड़ मची हुई है वो है संपर्क के लिए टेलिफोन नंबर्स की। .आखिर इनके पास कैसे पहुंचता है आपका मोबाइल नंबर? जी हां, यदि आप बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई या फिर ऐसे ही बड़े महानगरों में रहते हैं तो आपको सड़क पर फर्राटा भरती कुछ ऐसी जरूर दिख जाती होंगी जिन पर बड़े-बड़े शब्दों में मोबाइल या फिर टेलीफोन नंबर लिखे होते हैं। इन नंबरों की खासियत ये होती है कि ये नंबर आपको यदि 1 से 2 बार दिख जाएं तो आपको हमेशा याद रहेंगे। इसका मुख्य कारण इनका यूनिक और फैंसी होना है। फिर चाहे आपको कैब सर्विस का नाम याद आये या फिर ना आये लेकिन आपको वह नंबर जरूर याद रहेगा। इसी होड़ में बीते दिनों चेन्नई में कुछ अजीबो-गरीब वाकया हुआ। चेन्नई के बीएसएनएल ऑफिस ने फैंसी पीएनटी नंबर्स के लिए नीलामी का कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें एक फैंसी और यूनिक नंबर '20002000' को भी शामिल किया गया। इस नंबर को पाने के लिए लगभग 16 लोगों ने बढ़-चढ़ कर बोली लगाई। जिसमें चेन्नई के ही एक कैब ऑपरेटर रवि ट्रैवेल्स ने पूरे 33.93 लाख रुपये की सबसे ज्यादा बोली लगाकर इस नंबर को हासिल कर लिया।