बिना फुड प्रोसेसिंग वाले फ़ूड आइटम को नो एन्ट्री
कभी सर्वाधिक मांग वाला भारतीय करेला और बैगन अब यूरोप के बाजारों में नहीं बिकेगा. यूरोपीय मार्केट एसोसिएशन ने भारतीय किसानों द्वारा पैदा किए जाने वाले करेला, बैगन, पड़वल तथा अरबी पत्ता के आयात पर पाबंदी लगा दी है. इसके पीछे फुड प्रोसेसिंग की कमी माना जा रहा है. बतादें कि इससे पहले यूरोप में हापुस आम के निर्यात पर बैन लगाया जा चुका है. 1 मई से रसीले हापुस आम के साथ ही उक्त सब्जियोंं का भी निर्यात बंद हो जाएगा. एपीएमसी के व्यापारियों ने यूरोपीय बाजार में भारतीय सब्जियों के बैन पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे हजारों किसानों और सैकड़ों निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. गौरतलबल है कि यूरोपियन देशों में फल व सब्जियों को मार्केट में उतारने से पहले कई तरह के फुड प्रोसेसिंग ट्रीटमेंट किए जाते हैं, हालांकि भारत में इतनी तकनीकी प्रक्रियाएं नहीं अपनाई जाती. बहरहाल यूरोपियन मार्केट ने बिना प्रोसेसिंग बिदेशी फुड को अपने यहां खरीदने व बेचने पर रोक लगा दी है.
जरूरी क्यों है फुड प्रोसेसिंग
एक एक्सपोर्टर ने बताया कि किसी भी खाद्य पदार्थ खासकर फल, सब्जियों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए उस प्रोसेसिंग जरूरी होती है.विदेशों में आम, सेब, संतरे,अंगूर , केला तथा अन्य फलों के साथ ही खेतों से सीधे बाजार में आने वाली सब्जियों को आम ग्राहकों को बेचने से पहले तीन तरह की वैज्ञानिक प्रक्रियाएं की जाती हैं. पहला हॉट वाटर ट्रीटमेंट, दूसरा वेप्योर हीट ट्रीटमेंट तथा तीसरा रेडिएशन ट्रीटमेंट .इन प्रक्रियाओं के बाद फलों एवं सब्जियों में किटाणुओं का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है साथ ही बीमारियों का खतरा भी नहीं रहता. उष्णता ख़त्म हो जाती है, उन्हें पकाने या संरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया गया रसायन भी धुल जाता है. यूरोप आदि देशों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन फुड क्वाािलटी को लेकर बेहद गंभीरता के साथ निगरानी करता है, हालांकि भारत में इस पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जाता. अक्सर खेतों से निकाली गई सब्जियां, व पेड़ों से तोड़े गए फल धूल-मिट्टी के साथ बाजारों में बेचने के लिए लाए जाते हैं. जानकारों की राय में इस तरह की लापरवाही से कई खतरनाक बीमारियां फैलती हैं जिनका कारण नहीं पता चल पाता . केमिकल लगे अंगूर एवं केले के फलों को देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, हालांकि पाबंदी नहीं होने से व्यापारी सीधे ग्राहकों को बेच देते हैं.
सब्जियों से सेहत का खतरा
मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिनों पहले यूरोप में सब्जियों के कारण एक खतरनाक बीमारी के पनपने से कई लोग बीमार हो गये थे.स्थानीय सरकार ने इसके कारणों के खोजबीन के लिए प्रयास शूरू किया. सूत्रों के अनुसार इन बीमारियों के पीछे भारतीय सब्जियां भी कारण रहीं. जांच में भारतीय सब्जियों व फलों के बिना प्रोसेसिंग के ही निर्यात करने का पता चला,जिसके आधार पर यह पाबंदी का निर्णय लिया गया है. एपीएमसी भाजी मार्केट के संचालक शंकर पिंगले ने नवभारत को बताया कि भारतीय किसानों की सब्जियों पर कोई अन्न प्रक्रिया नहीं होती, सरकार ने ऐसी व्यापक व्यवस्था नहीं की है. फिलहाल बिना प्रोसेसिंग फल सब्जियों के निर्यात पर रोक से सैकड़ों निर्यातकों व किसानों को भारी नुकसान हो रहा. हम केन्द्र सरकार से इस बारे में सकारात्मक पहल की अपील करते हें कि ऐसे नियम बनाए जाएं कि भारतीय फल-सब्जियां यूरोपीय देशों के नियमों के अंर्तगत बेची जा सकें.
हर दिन 200 टन के निर्यात पर असर
मिली जानकारी के अनुसार एपीएमसी के भाजी मार्केट से प्रति दिन तकरीबन 210 टन ताजी सब्जियां यूरोप के बाजारों में सप्लाई की जाती हैं. इनमें करेला प्रतिदिन 3 से 4 टन, बैगन 40 से 50 टन, पड़वल -100 टन अरबी पत्ता- प्रतिदिन लगभग 40 से 50 टन निर्यात होता है.विदेशों में इन सब्जियों के बैन से रोज होने वाला सवा दो सौ टन के अनुमानित निर्यात पर भारी असर पडऩे वाला है. व्यापारियों का कहना है कि निर्यात बंद होने से जहां विदेशी आमदनी रुकी है वहीं सैकड़ो टन सब्जियों का बाजार प्रभावित हो रहा है. माल ज्यादा और देशी खरीदारों की कमी से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों एवं व्यापारियों ने इस संदर्भ में के न्द्र सरकार के कृ षि व अन्न पदार्थ प्रक्रिया विकास प्राधिकरण को जिम्मेदार ठहराते हुए तत्काल प्रोसेसिंग केन्द्र खोलने की मांग की है.









