शुक्रवार, 28 मार्च 2014

यूरोप के बाजारों में भारतीय सब्जियों पर बैन



बिना फुड प्रोसेसिंग वाले फ़ूड आइटम को नो एन्ट्री


 कभी सर्वाधिक मांग वाला भारतीय करेला और बैगन अब यूरोप के बाजारों में नहीं बिकेगा. यूरोपीय मार्केट एसोसिएशन ने भारतीय किसानों द्वारा पैदा किए जाने वाले करेला, बैगन, पड़वल तथा अरबी पत्ता के आयात पर पाबंदी लगा दी है. इसके पीछे फुड प्रोसेसिंग की कमी माना जा रहा है. बतादें कि इससे पहले यूरोप में हापुस आम के  निर्यात पर बैन लगाया जा चुका है. 1 मई से रसीले  हापुस आम के साथ ही उक्त सब्जियोंं का भी निर्यात बंद हो जाएगा. एपीएमसी के व्यापारियों ने यूरोपीय बाजार में भारतीय सब्जियों के बैन पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे हजारों किसानों और सैकड़ों निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. गौरतलबल है कि यूरोपियन देशों में फल व सब्जियों को मार्केट में उतारने से पहले कई तरह के फुड प्रोसेसिंग ट्रीटमेंट किए जाते हैं, हालांकि भारत में इतनी तकनीकी प्रक्रियाएं नहीं अपनाई जाती. बहरहाल यूरोपियन मार्केट ने बिना प्रोसेसिंग बिदेशी फुड को अपने यहां खरीदने व बेचने पर रोक लगा दी है.

जरूरी क्यों है फुड प्रोसेसिंग

एक एक्सपोर्टर ने बताया कि किसी भी खाद्य पदार्थ खासकर फल, सब्जियों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए उस प्रोसेसिंग जरूरी होती है.विदेशों में आम, सेब, संतरे,अंगूर , केला तथा अन्य फलों के साथ ही खेतों से सीधे बाजार में आने वाली सब्जियों को आम ग्राहकों को बेचने से पहले तीन तरह की वैज्ञानिक प्रक्रियाएं की जाती हैं. पहला हॉट वाटर ट्रीटमेंट, दूसरा वेप्योर हीट ट्रीटमेंट तथा तीसरा रेडिएशन ट्रीटमेंट .इन प्रक्रियाओं के बाद फलों एवं सब्जियों में किटाणुओं का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है साथ ही बीमारियों का खतरा भी नहीं रहता. उष्णता ख़त्म हो जाती है, उन्हें पकाने या संरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया गया रसायन भी धुल जाता है. यूरोप आदि देशों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन फुड क्वाािलटी को लेकर बेहद गंभीरता के साथ निगरानी करता है, हालांकि भारत में इस पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जाता. अक्सर खेतों से निकाली गई सब्जियां, व पेड़ों से तोड़े गए फल धूल-मिट्टी के साथ बाजारों में बेचने के लिए लाए जाते हैं. जानकारों की राय में इस तरह की लापरवाही से कई खतरनाक बीमारियां फैलती हैं जिनका कारण नहीं पता चल पाता . केमिकल लगे अंगूर एवं केले के फलों को देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, हालांकि पाबंदी नहीं होने से व्यापारी सीधे ग्राहकों को बेच देते हैं.

सब्जियों से सेहत का खतरा

मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिनों पहले यूरोप में सब्जियों के कारण एक खतरनाक बीमारी के पनपने से कई लोग बीमार हो गये थे.स्थानीय सरकार ने इसके कारणों के खोजबीन के लिए प्रयास शूरू किया. सूत्रों के अनुसार इन बीमारियों के पीछे भारतीय सब्जियां भी कारण रहीं. जांच में भारतीय सब्जियों व फलों के बिना प्रोसेसिंग के ही निर्यात करने का पता चला,जिसके आधार पर यह पाबंदी का निर्णय लिया गया है. एपीएमसी भाजी मार्केट के संचालक शंकर पिंगले ने नवभारत को बताया कि भारतीय किसानों की सब्जियों पर कोई अन्न प्रक्रिया नहीं होती, सरकार ने ऐसी व्यापक व्यवस्था नहीं की है. फिलहाल बिना प्रोसेसिंग फल सब्जियों के निर्यात पर रोक से सैकड़ों निर्यातकों व किसानों को भारी नुकसान हो रहा. हम केन्द्र सरकार से इस बारे में सकारात्मक पहल की अपील करते हें कि ऐसे नियम बनाए जाएं कि भारतीय फल-सब्जियां यूरोपीय देशों के नियमों के अंर्तगत बेची जा सकें.
हर दिन 200 टन के  निर्यात पर असर
मिली जानकारी के अनुसार एपीएमसी के भाजी मार्केट से प्रति दिन तकरीबन 210 टन ताजी सब्जियां यूरोप के बाजारों में सप्लाई की जाती हैं. इनमें करेला प्रतिदिन 3 से 4 टन, बैगन 40 से 50 टन, पड़वल -100 टन अरबी पत्ता- प्रतिदिन लगभग 40 से 50 टन निर्यात होता है.विदेशों में इन सब्जियों के बैन से रोज होने वाला सवा दो सौ टन के अनुमानित निर्यात पर भारी असर पडऩे वाला है. व्यापारियों का कहना है कि निर्यात बंद होने से जहां विदेशी आमदनी रुकी है वहीं सैकड़ो टन सब्जियों का बाजार प्रभावित हो रहा है. माल ज्यादा और देशी खरीदारों की कमी से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों एवं व्यापारियों ने इस संदर्भ में के न्द्र सरकार के कृ षि व अन्न पदार्थ प्रक्रिया विकास प्राधिकरण को जिम्मेदार ठहराते हुए तत्काल प्रोसेसिंग केन्द्र खोलने की मांग की है.

मंगलवार, 25 मार्च 2014

यहाँ हर ओर दरिंदे हैं, लड़कियों संभल के रहो

आशा मिरगे -अध्यक्ष महिला आयोग महाराष्ट्र 


एनसीपी नेता और महाराष्ट्र महिला आयोग की सदस्य आशा मिरगे ने महिलाओं को बलात्कार के लिए जिम्मेदार बताकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। आशा मिरगे ने महिलाओं के साथ लगातार हो रहे यौन शोषण के लिए उनके पहनावे को जिम्मेदार ठहराया है। आशा मिर्जे महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता भी हैं। मिर्जे ने नागपुर में हुई पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा कि महिलाओं का रहन-सहन और पहनावा बलात्कार की घटनाओं को बढ़ावा देता है। मिरगे यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने कहा कि रेप महिला के कपड़े, चाल चलन और गलत जगह पर रहने से होते हैं। उन्होंने कहा कि 20-25 फीसदी युवतियां सजगता के आभाव में दुष्कर्म का शिकार बनती हैं।
निर्भया और फोटो पत्रकार ही दोषी!
कोर्ट ने जहाँ बलात्कारियों को दोषी मानते हुए कारवाई का आदेश दिया है वही जराज्य महिला आयोग कि अध्यक्षा खुद लड़कियों को दोषी मन रही हैं. दिल्ली के निर्भया गैंग रेप मामले में पीडि़ता को ही दोषी ठहराते हुए मिरगे ने कहा कि रात को वो दोस्त के साथ फिल्म देखने क्यों गई थी? यही नहीं मिर्जे ने मुंबई के शक्ति मिल्स परिसर में महिला फोटो पत्रकार के मामले में कहा कि महिला को सुनसान जगह जाने की क्या जरूरत थी।
मिरगे ने एनसीपी की महिला इकाई के सम्मेलन में कहा कि मैं आपको एक कविता सुनाती हूं, सावन में हिरणी संभलकर रहो नहीं तो कोई शिकारी शिकार कर लेगा। इसके बाद उन्होंने कहा, हिरणी ही क्यों कहा? हिरण क्यों नहीं?.. क्योंकि हिरणी को ही संभलकर जीने की जरूरत है। पर हम संभलकर जीते हैं क्या? ..संभलकर रहना चाहिए। इस उम्र में भी मैं मिर्ची के पैकेट साथ रखती हूं। संभलकर ही जीना चाहिए।
आशा के बयान के बारे में जब एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक से पूछा गया तो, उन्होंने इससे पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा, न तो मैंने आशा के बयान को सुना है और न ही मुझे इसके बारे में कोई जानकारी है। यदि उन्होंने ऐसा कुछ कहा है, तो यह उनकी व्यक्तिगत राय है।

७० लाख वोटरों को मतदान कराएंगे ५० हजार कर्मचारी


             
 24 अप्रैल को ठाणे जिले की 4 लोकसभाओं में होने वाले चुनाव में मतदान प्रक्रिया को सम्पन्न कराने के लिए कुल 8044 मतदान केन्द्र सुनिश्चित किए गए हैं.बतादें कि 1 करोड 21 लाख 27 हजार की आबादी वाले ठाणे जिले में 4 लोकसभा क्षेत्र , और 24 विधानसभा क्षेत्र हैं.सम्पूर्ण जिले में कुल 70 लाख 61 हजार मतदाता हैं.जिनके लिए मतदान की अलग -अलग प्रक्रियाओं को पूरा कराने के लिए यहां तकरीबन 50 हजार कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी है.जो जिले के 24 विधान सभा क्षेत्रों में अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे. उप निर्वाचन अधिकारी माधवी सरदेशमुख ने बताया कि जिलाधिकारी पी वेलरासु के निर्देश पर नियुक्त कर्मचारियों को आदेश दिए गए हैं कि वे तय केन्द्रों पर अपनी ड्यूटी संभाल लें,ताकि चुनावों का काम पूरा किया जा सके.
अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य
 निर्वाचन विभाग ने एक निर्देश जारी कर नियुक्त अधिकारियों व कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने की अपील की गयी है.बतादें कि चुनावों की प्रक्रिया समझाने के लिए यह प्रशिक्षण 26 मार्च से 1 अप्रैल के बीच चलेगा.गौरतलब है कि अधिकारियों के लिए ये प्रशिक्षण केन्द्र अलग-अलग विधान सभा इलाकों में स्थापित किए गए हैं,जहां निर्वाचन कर्मचारियों  की तैनाती की गयी है.शिविर में उक्त मतदान क्षेत्र की राजनैतिक,सामाजिक  स्थिति,प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि,मतदाताओं की आर्थिक,व शैक्षणिक हालात की जानकारी के साथ ही पुलिस इंतजाम,निर्वाचन में बाधा के दौरान कार्रवाईयों की प्रक्रिया आदि का विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.
वर्ना होगी सख्त कार्रवाई
निर्वाचन अधिकारी एवं जिलाधिकारी द्वारा जारी अभिज्ञप्ति में कर्मचारियों को इस प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने को अनिवार्य है.इस संदर्भ में प्रशिक्षण शिविर में नहीं लेने वाले कर्मचारियों के खिलाफ लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 134 के तहत सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है.
कर्मचारियों को 26 मार्च से 1 अप्रैल के बीच विशेष प्रशिक्षण में शामिल होने की अपील की है. सूत्रों की मानें तो नवी मुंबई एवं ठाणे जिले के तकरीबन 30 से 40 फीसदी कर्मचारी चुनावी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं,जिसको देखते हुए निर्वाचन अधिकारी ने सख्त कार्रवाई का फरमान जारी किया है.

रविवार, 23 मार्च 2014

स्याही मिटाओ, दुबारा वोट डालो



     माथाड़ी नेता स्व.अन्ना साहेब पाटिल की ३२ वीं पुण्यतिथि समारोह में पवार की बेतुकी सलाह 

नवी मुंबई के एपीएमसी वाशी में २३ मार्च को आयोजित एक सम्मेलन में हिस्सा लेने आए शरद पवार ने माथाडिय़ों को संबोधित करते हुए कहा कि ठाणे, नवी मुंबई तथा सातारा-सांगली में अलग-अलग तिथियों में चुनाव हैं, इसलिए वहां गांव में भी वोट दो और शहर आकर दुबारा वोट डालो. हजारों की संख्या में जुटे माथाडिय़ों को शरद पवार ने दुबारा मतदान से पहले अंगुली पर लगी स्याही पोछ लेने या मिटाने की सलाह दे डाली.हालांकि पवार यह बात हंसते हुए कहे लेकिन उनके जैसे एक राष्ट्रीय नेता द्वारा दिए गए इस बयान को अवैध मतदान को बढ़ावा देने वाला माना जा रहा है.जानकारों की राय है कि पवार का यह विवादित बयान इस बात का भी संके त है कि किस तरह चुनावों में फर्जी मतदान होता है.पवार जिस वक्त अपना भाषण दे रहे थे उस वक्त वाशी एपीएमसी के कांदा बटाटा मार्केट में सैकड़ों पुलिस कर्मी और उनके अधिकारियों के साथ ही निर्वाचन विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे.गौरतलब ये भी है कि ओलाबृष्टि से प्रभावितों को राहत देने की बात कहते हुए इसी मंच से जिस शरद पवार ने कुछ पलों पहले स्वीकार किया कि गलत बोलना आचार संहिता का उल्लंघन हो सकता है, वही पवार 5 मिनट बाद ही डबल मतदान की बेतुकी सलाह देते नजर आए.केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री शरद पवार के इस विबादित बोलबचन पर विरोधियों को सुर्खियां बटोरने का मौका मिल गया है.इसी दौरान कोपरखेरणे में चुनावी प्रचार के लिए आए आप के ठाणे लोकसभा प्रत्याशी संजीव साने ने तत्काल ही पवार पर प्रतिक्रिया दे दी. साने ने कहा कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है,इसके लिए आप शिकायत दर्ज कराएगी.शिवसेना और भाजपा ने भी केस दर्ज कराने की घोषणा की है.




शनिवार, 15 मार्च 2014

लहर लहर लहराए ये तिरंगा


ये बात हवाओंं को बताए रखना, इस तिरंगे को अपने दिल में बसाए रखना..बेलापुर का नया मनपा मुख्यालय आजक ल आने-जाने वालों से कुछ ऐसी ही अपील कर रहा है. इस अपील में जो विशेष है, वो है देश के सबसे ऊंचे ध्वज स्तंभ पर लहाराता हुआ तिरंगा..वो तिंरगा, जिसके लिए लाखों वीर जवानों ने अपनी कुर्बानियां दीं.. 225 फुट ऊंचा ध्वज स्तंभ हिन्दुस्तान के किसी और प्रांत या शहर में है भी नही. यहां 24 घंटे लहराता है तिरंगा, अपनी शान में..यही तिरंगा अब नवी मुंबई की शान बन गया है.पाम बीच रोड से होकर पुणे-मुंबई की ओर गुजरने वाले हर शख्स का दिल यहां से गुजरते हुए गुनगुनाने लगता है, रुक जा रे दिल तु बस यहीं, जो बात इस जगह है कहीं पे नहीं. सच में मन कहता है कुछ पलों के लिए यहीं ठहर जाएं, खड़े होकर खिंचवा लें एक तस्बीर ताकि यादगार बन जाए कि हमने हिन्दुस्तान के सबसे ऊंचे ध्वज स्तंभ पर तिरंगे को लहराता हुए देखा है..नवी मुंबई में..
भर आयीं आखें, उभर आया देशप्रेम
19 फरवरी को केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने जब यहां ध्वजारोहण किया तब सलामी दे रहे हजारों लोगों की आखें राष्ट्रीय स्वाभिमान के कारण डबडबा गयीं. जैस-जैसे तिंरगा झंडा उपर उठता गया उसी के साथ मादरे-वतन को बुलंदियों पर देखने का अरमान भी ऊंचा उठता चला गया. स्वाधीनता के गर्व से सीना फूलता चला गया..ऐसा कौन  नहीं होगा जिसके मन में यहां देशाभिमान का जज्बा हिलोरें न लिया हो. शायद इसी को तो कहते हैं देशप्रेम..कुछ पलों के लिए यहां अखंड भारत, अनेकता में एकता का भारत, एक भारत नजर आया..नवी मुंबई में..यह प्रतीक है भारत की स्वाधीनता का, संप्रभुता का. नवी मुंबई मनपा मुख्यालय पर लहरा रहा यह तिरंगा प्रेरक बन रहा है देशभक्ति का.
सांसद संजीव ने जड़ा सितारा 
बुलंदियों पर लहराता ध्वज सम्मान है सेटेलाईट सिटी का. नवी मुंबई के बेलबूटे में यह सम्मान का नया सितारा है.जिसे कम उम्र महापौर का लिमका रिकार्ड बनाने वाले सांसद संजीव नाईक ने जड़ा है. नवी मुंबईकरों को 24 घंटे पानी के लिए मोरबे डैम विकास और पोलियो अभियान को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए डॉ.संजीव नाईक देश भर में मशहूर हैं. सर्वोच्च ध्वज स्तंभ पर लहराता हुआ तिरंगा उनक ी दूरदर्शिता का नया इतिहास लिख गया है. इससे पहले कर्नाटक के बैंगलूरू शहर में जिंदल स्टील कंपनी में 100 फुट जबकि यहीं मीलीटरी मेमोरियल में इसी साल 23 जनवरी को सुभाष चंद्रबोस की जयंती पर 213 फुट का ध्वज स्तंभ लगाया गया है,लेकिन नवी मुंबई मनपा मुख्यालय में स्थापित स्तंभ सबसे ऊंचा है.
सेटेलाईट सिटी का और बढ़ा सम्मान
शिल्पकार गणेश नाईक ने नवी मुंबई को लोकाभिमुख पहचान दी है. सिडको द्वारा विकसित शहर को मनपा संभालती-संवारती है. आधुनिक व खूबसूरत रेलवे स्टेशन, पाम बीच रोड, खाड़ी किनारे ऊंची इमारतें, 24 घंटे पानी-बिजली सहित ढेरों मौलिक सुविधाएं .वंडर पार्क जैसे उद्यान, राजीव गांधी स्टेडियम, ऐरोली में आंबेडकर स्मारक और सीमेंट का ठाणे बेलापुर रोड  .सुनियोजित सुविधाओंं पर आधारित बेहतर जीवन स्तर विशिष्टताएं हैं नवी मुंबई की.  जिस प्रांगण में ध्वजस्तंभ लगा है मनपा की वह हरित इमारत भी ऐतिहासिक है.उद्घाटन करते हुए शरद पवार ने इसे अमेरिका के ह्वाईट हाउस की संज्ञा दी. 13 रेन हार्वेस्टिंग पिट,चारो और हरियाली,नैसर्गिक प्रकाश व्यवस्था, लोकाभिमुख कार्यालय और शीर्ष पर बिना खंभों पर टिका विशाल गुंबज उत्कृष्ट बनावट और निर्माण शैली का नमूना पेश करते हैं.यानी..पर्यावरण पूरक..सुंदर.. बेमिसाल..लेकिन इन सबसे विशेष 225 फुट के ऐतिहासिक ध्वज स्तंभ पर लहराते हुए तिरंगे ने भारतीय मानचित्र मे सेटेलाईट सिटी की शुमारी और बढ़ा दी है. यकीनन जब भी आप इधर से गुजरेंगे, बुलंदियों पर लहराते हुए इस तिंरगे को देखकर आप भी गुनगुना उठेंगे..विजयी विश्व तिरंगा प्यारा.झंडा ऊंचा रहे हमारा....








होली है भाई होली है.


मंगलवार, 11 मार्च 2014

कपड़ा लइ जा रे

शकुंतला 
इंसान जब जंगलों में रहता था, तब पेड़ों के पत्ते ओढ़ता था, जब कपड़े पहनने लगा तब वह सभ्य कहा जाने लगा . ये और बात है कि आज भी देश के 20 फीसदी भारतीयों को सभ्य दिखने के  लिए कपड़े नसीब नहीं होते. कइयों के पास इतना भी पैसा नहीं होता कि वे नए वस्त्र खरीद सकें. ऐसे लोगों के लिए रविवार पेठ राहत की बाजार है. यहां तन ढकने के लिए मनचाहे कपड़े मिल जाते हैं,भले ही वो नए नहीं होते. वैसे भी नए पुराने का भेद तो उनके लिए होता है जिनके पास चुनने की गुंजाइश होती है. लेकिन दिन भर पत्थर खदानों में पहाड़ का सीना चीर कर मजूरी कमाने वालों के लिए पुराना क्या,नयाक्या? यहां 100 रुपए में साड़ी,15 में व्लाउज,20 में कुर्ता, 25 में सलवार कमीज और 5-10 में बच्चों के कच्छे और टीशर्ट,कुर्ते भी मिल जाते हैं.यह बाजार जीवन की तीन मौलिक जरूरतों में से सबसे अहम कपड़ों की कमी को पूरा करता है.अगर ऐसे बाजार न हों तो क्या हिंदुस्तान का हर इंसान सभ्य रह पायेगा ?  रोटी के बाद कपडे की जरुरत दूसरे नंबर पर है,और मकान सबसे बाद में।लेकिन  नए दौर में पहले कपड़ा चाहिए फिर रोटी। बिना कपडे रोटी कमाने निकलने वालों को लोग पागल कहते हैं.जाहिर है जो जितना अच्छा कपड़ा पहनता है उसे उतना ही सभ्य और समृद्ध माना जाता है.बिन कपड़े का मानव पहले भी आदम था आज भी है..इसलिए कि हुकूमतों ने इससे निपटने अपना फर्ज अदा नहीं किया,  लोग सियासत में मुफलिसी के शिकार होते गए।कपड़ा बाजार भी इसी मुफलिसी की पैदाईस है.
बर्तन देकर आते हैं कपड़े


तुर्भे नाका पर स्काई वाक के नीचे आधे किलोमीटर में हर संडे सजती है ये रविवार पेठ, कपड़ों की बाजार,गरीबों की बाजार. यहां पुराने कपड़ों की आस में वे लोग आते हैं जो मजदूर होते हैं, वे भी आते हैं जो बड़े परिवार वाले हैं,जहां सबके लिए हर बार नया वस्त्र खरीद पाना मुश्किल होता है.या यूं कहें कि खरीदने के लिए पैसे नहीं होते.बाजार सजाने वाले बताते हैं कि बाबा-बेबी से लेकर भैया बाबी के लिए या चाचा-मामा सबके लिए मनचाही कीमत में मिलने वाले ये तन-बदन ढ़कने वाले ये कपड़े बर्तन देकर लाए जाते हैं.फेरीवाली कुछ महिलाएं प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों के बदले पुराने और बिन फटे ऐसे व लेती हैं.आप ने भी कई बार कपड़ों के बदले ऐसे बर्तन बेचने वाली महिलाओं को हांक लगाते सुना देखा होगा. कहते हैं घर-घर से इकट्ठा होने वाला यही कपड़ा यहां रविवार पेठ जैसी फुटपाथी बाजारों में बिकता है.कुछ लोग इसे गोदी का माल कहकर जबकि कुछ लोग अमीरों द्वारा एक बार पहनकर छोड़ा हुआ कपड़ा कहकर बेचते हैं. हालांकि इन  बातों से परे गरीब लोगों के लिए ये सिर्फ कपड़े होते हैं जिनसे तन ढकता है.जिसे पहनने के बाद हम आदम नहीं इंसान नजर आते हैं , और सभ्य कहलाते हैं.
5 में बुशर्ट 40 में पतलून
अपने 55  साल के पति के साथ वड़ाला से हर संडे गठरी लेकर यहां दुकान सजाने वाली शकुंतला कहती है कि उसके जैसे फुटपाथी दुकानदारों की वजह से ही गरीबों के लिए तन ढकने का कपड़ा मिल जाता है. शकु समझाती है कि रविवार पेठ आम लोगों के लिए बाजार है लेकिन गरीबों के लिए खुशियां खरीदने का ठिकाना. और मेरे लिए रोजी का जरिया. 50 साल की अधेड़ शकू अपने अधेड़ और रंगरीले पति के साथ वड़ाला,कुर्ला,तलोजा और कर्जत तक बाजार हाट सजाती है.कपड़े बेचती है.यही उसकी घर गृहस्थी का साधन है. पुरषोत्तम कहता है फुटपाथ की दुकान पर शर्ट-पैंट बेचकर क्या मिलता है साब..करते धरते बस जी रहे हैं  लोग पुराने कपड़ों के लिए भी पचास मोल भाव करते हैं. जवान लोगों की बुशर्ट 5 रुपए से लेकर 30-35 रुपए में और पतलून ४०से ६० रुपए में बेचना पड़ता है.मोल भाव देखकर 50 रुपए की चीज का दाम बढाकर चढ़ाकर 150 से 200 रुपए बोलना पड़ता है. जितना मांगो,  लोग उतना थोड़े ही दे देते हैं.
 कपड़ों से जलता है चूल्हा 
कभी सुने हैं कि कपड़ों से घर गृहस्थी चलती है. मुलुंड से अपनी ननद किशोरी के साथ बाबा-बेबी के फ्राक और बुशर्ट बेचने आयी बिन्द्रा कहती है कि कपड़े न बिकें तो घर का चुल्हा नहीं जले.बिंद्रा को  कपड़े बेचने का धंधा उसकी सास ने सिखाया.वो नहीं रही तो अब ननद के साथ मिल कर कपड़ों का कारोबार खुद संभालने लगी. वह ग्राहकों को आता देख जोर जोर से आवाज देती है,साड़ी ले लो,ब्लाउज ले लो.यहां सुहागिनों के लिए रंग-बिरंगी साडिय़ां होती हैं-जारजेट की,कढ़ाई वाली,सिफान की, और भी कई तरह की. खरीदार ग्राहक साडियों की डिजाईन नहीं कीमत देखते हैं. उसकी पुरानी व चमकदार साडिय़ां 100 से 200 में बिकती हैं.बिन फटी , मजबूती और रंग-रूप के हिसाब से. मोलभाव भी खूब चलता है,लेकिन दिन भर की बाजार से 1  से डेढ़ हजार की कमाई हो जाती है..किशोरी शरमा कर बताती है कि कभी-कभी आपस में तु-तु मैं-मैं भी होती है लेकिन फिर हम ननद-भाभी बहनों की तरह काम में जुट जाती हैं, आखिर धंधा है, झगड़े से नहीं मेहनत से चलता है.

गुरुवार, 6 मार्च 2014

हर-हर मोदी, घर-घर मोदी


देश में नरेंद्र मोदी नेतृत्व करें इसके समर्थन में भाजपा के अलावा भी प्रयास तेज हो गए हैं.ये प्रयास अलग-अलग राज्यों में सामाजिक संस्थाओं व ऐसे नौजवानों द्वारा चलाए जा रहे हैं, जो कांग्रेस और यूपीए की भ्रष्टाचार और महंगाई बढ़ने वाली राजनीती से आजिज आ चुके हैं. मोदी को पीएम बनाने ये गैर राजनैतिक कार्यकर्ता घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं,बेहतर होने का अंतर बता रहे हैं.हर घर से एक चम्मच चाय मांग रहे हैं.उनका कहना है कि इकठ्ठा की गयी चाय को नमो नुक्कड़ पर बनाएंगे और जनता को पिलाकर चर्चा करर्ते हुए वोट फॉर इंडिया की अपील करेंगे। १ से लेकर १५ अप्रैल तक यह अभियान चलेगा।खासकर महाराष्ट्र के ठाणे,नवी मुम्बई,रायगढ़ जिले तथा मुम्बई में. यहाँ २४ अप्रैल को चुनाव होने वाले हैं। उम्मीद है कि नमो की चाय पीकर मतदाता देश के लिए मोदी को जरुर वोट देंगे,जिताएंगे भी। इस पुरे अभियान की शुरुआत नमो नवी मुम्बई ब्रिगेड ने की है.उसकी दलील है कि पुर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने देशोत्थान के लिए विजन-2020 के जरिए भारत की खुशहाली और विकास का जो सपना देखा था, कांग्रेस ने 10 सालों में उस विजन का सत्यानाश कर दिया. देश में भ्रष्टाचार,घोटाले और मंहगाई के कारण जनता परेशान है. आजादी के 67 सालों बाद भी देश के कई हिस्से बिजली,पानी, शिक्षा, चिकित्सा व परिवहन आदि मौलिक सुविधाओं से बदहाल हैं. यह कांग्रेस नित यूपीए सरकार की देन है. कुछ ऐसे ही राजनैतिक आरोपों के साथ नमो ब्रिगेड भाजपा के पीएम प्रत्याशी को जिताने का अभियान चला रहा है. ब्रिगेड अपील कर रहा है कि  देश को बदहाली से निकालने और दुनिया का सिरमौर बनाने के लिए नरेन्द्र मोदी गम्भीर हैं. उनका सपना है कि देश के  हर नौजवान को रोजगार व हर महिला को सम्मान मिले, किसानों का उत्थान हो, शिक्षा,स्वास्थ्य सेवाएं गांव-गली तक पहुंचे. सरहदें सुरक्षित रहें. संसाधनों का विकास हो और देश में खुशहाली बढ़े. नमो के इस मिशन को सफल बनाने के लिए 2014 का लोकसभा चुनाव सबसे बेहतर मौका है. ब्रिगेड के अभियान का नाम है "नमो नवी मुंबई" जो नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए चलाया जा रहा है.
मुक्ति के लिए मोदी,उन्नति के लिए मोदी 
पेशे से इंजीनीयर नमो नवी मुंबई अभियान के संयोजक सतीश निकम कहते हैं  कि भारत की प्रगति के लिए, किसानो, युवाओं व महिलाओं की उन्नति के लिए, भ्रष्टाचार-मंहगाई से मुक्ति के लिए नरेन्द्र मोदी हिन्दुस्तान की जरूरत हैं. उन्हें पी एम बनाने के लिए देश भर कि  200 से अधिक सामाजिक संस्थाएं भी समर्थन जुटाने में लगी हैं . एसएमएस के माध्यम से नमो के समर्थन में लोग जुड़ रहे  हैं जिनमें छात्र,नौकरीपेशा,वकील और कारोबारी शामिल हैं.साम्प्रदायिकता कि भावना से परे मुस्लिम युवक भी मोदी के समर्थन में आगे आ रहे हैं जो उनकी बढ़ती सर्व मान्यताका संकेत है. सब चाहते हैं कि मोदी पीएम बनें. 

वोट के लिए रुक जाओ, मुलुक न जाओ


उत्तरभारतीय मतदाताओं को लुभा रहे राजनेता 

प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी 
24 अप्रैल को घोषित आम चुनावों को लेकर सभी दल हार -जीत का गणित बिठाने लगे हैं, ऐसे में उन्हें उत्तर भारतीय मतदाताओं का अस्तित्व समझ आने लगा है. वो उत्तर भारतीय जिनके दम पर मुंबई -ठाणे में प्रत्याशियों का भविष्य तय होता है. हालांकि उत्तर भारतीय सिर्फ वोटों के लिए इस्तेमाल किए जाने से चिढ़े और गुस्से में हैं. इसलिए उन्हें मनाने, फुसलाने के प्रयास जोर पकडऩे लगे हैं. चुनाव सर पर है फलस्वरूप राजनीतिक दलों को उत्तर भारतीय मतदाता कमाऊ पूत की तरह दिखने लगे हैं. 24 अप्रैल को तय चुनाव में उनके मतों का फायदा मिल सके इसलिए उन्हें गांव जाने से रोकने की कोशिशें भी तेज हो गयी हैं. लुभाने वाली पार्टियों में एनसीपी सबसे आगे जबकि शिवसेना,कांग्रेस और सपा उसके पीछे हैं. सुत्रों का दावा है कि मराठी माणूस में कमजोर होती जा रही पकड़ देखते हुए मनसे भी उत्तरभारतीयों में घुसपैठ बनाने में जुट गयी है.
मुलुक नहीं गए तो मिलेगा मकान!
सूत्रों की मानें तो नवी मुंबई और ठाणे में रहने वाले हजारों उत्तर भारतीयों को रोकने के लिए कई तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं. जिसमें मुलुक आने-जाने के लिए कन्फर्म रेलवे टिकट, बच्चों के लिए 2 महीनों की फीस,नकद रूपए, और मोटर साइकल शामिल है.सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जिन लोगों के साथ 100 से अधिक समर्थक या सोसायटी का कन्फर्म वोट बैंक है "उन्हें" वन रुम किचन वाले मकान का भी आफर दिया जा रहा है. जाहिर है यह सब वोट हथियाने का हथकंडा है. सूत्रों की मानें तो इसका फायदा उठाने के लिए कई मरणासन्न हिन्दी भाषी संगठन अचानक जिंदा हो उठे हैं, और जगह-जगह सभा समारोहों का आयोजन कर नेताओं को अपने वोट बैंक की झलक दिखाने के प्रयास में जुटे हैं.
हिन्दी भाषियों के सहारे हार-जीत 
गौरतलब है कि मुंबई,ठाणे तथा रायगढ़ में उत्तर भारतीयों की आबादी तकरीबन 7 लाख है जो किसी भी पार्टी की हार-जीत का राजनीतिक समीकरण बिगाडऩे की औकात रखती है. यही वजह है कि राकां,कांग्रेस, शिवसेना और समाजवादी सभी पार्टियां हिन्दी भाषियों को लुभाने की कवायद में जुटी हैं. प्रलोभन के साथ उन्हें जबरन रोकने की कोशिश भी की जा रही है ताकि वे मुलुक न भाग सकें.उन्हें रोकने में लोभी हिन्दी भाषी नेता मोहरा बन रहे हैं. हाल ही में ठाणे के पालकमंत्री गणेश नाईक ने चुनाव तक उत्तर भारतीयों को हर हाल में रोकने का खुला निर्देश दिया था. उन्होंने यहां तक कहा था कि वोट देने के बाद जाने वालों को मुलुक का कन्फर्म टिकट वे खुद देंगे. लेकिन असली सवाल ये है  जिन शादी-विवाह आदि पारिवारिक संस्कारों से उत्तर भारतीय जुड़े हैं उसे नेताओं के राजनीतिक फायदे के लिए छोड़ देना कितना जायज है. हकीकत ये भी है कि कुछ लोग पैसों के लोभ और बहकावे में अपने परिवार और संस्कारों को तिलांजलि दे रहे हैं.

बुधवार, 5 मार्च 2014

हटी लालबत्ती-जब्त होंगे हथियार

NM.CP.K.L PRASAD
लोकसभा चुनाव: आचार संहिता लागू
सुरक्षा-सतर्कता में जुटी पुलिस

नवी मुंबई,थाणे में 5 मार्च से आचार संहिता लागू हो गयी है. यहाँ 24 अप्रैल को  लोकसभा चुनाव होंगे।इसके मद्दे नजर पुलिस ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं.नवी मुंबई के नव नियुक्त पुलिस आयुक्त के.एल.प्रसाद ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग से कई दिशा निर्देश प्राप्त हुए हैं जिसके अनुसार चुनाव में अशांति व खलल डालने वाले तत्वों पर नकेल कसने की कार्रवाई की जा रही है.उन्होंने कहा कि आम चुनाव शांति पुर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए पुलिस व निवार्चन अधिकारियों के बीच चर्चा शुरू है.शहर के संवेदनशील इलाकों की पहचान तथा आपराधिक गतिविधियों की निगरानी, अपराधियों की दर-पकड़ के साथ ही बाहरी व संदिग्द लोगों को लेकर विशेष सतर्कता पर हमारा जोर है,ताकि कोई व्यवधान न पैदा हों.

पुलिस आयुक्त के.एल.प्रसाद ने कहा कि निर्वाचन आयोग के नियम-निर्देशों के अनुसार वीआईपी वाहनों से लाल बत्ती हटानेव लाईसेंसी हथियारों को जमा कराने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.उन्होंने भरोसा दिलाया कि चरण बद्ध तरीके से तथा कड़ाई के साथ चुनाव आदेशों का लागू किया जाएगा.नए सीपी ने बताया कि फिलहाल निर्वाचन विभाग द्वारा अपराधियों पर की गयी कार्रवाई और अन्य खुफिया रिपोर्ट मांगी गयी है जिसके लिए पुलिस काम में जुटी है.पुलिस आयुक्त ने दुहाराया हम चुनाव को सफलता पुर्वक संपन्न कराने के साथ ही पुलिसिया काम काज को बेहतर बनाने पर गंभीर हैं.